खदानों का आवंटन करा लेते हैं लेकिन उसका डेड रेंट जमा नहीं कराते।
खदानों का आवंटन करा लेते हैं लेकिन उसका डेड रेंट जमा नहीं कराते। ऐसे में खनिज विभाग का आंकड़ा गड़बड़ाया तो अधिकारियों ने खदान संचालकों पर सख्ती की तैयारी कर ली है। जिले में 94 खदानें चिह्नित की हैं, जिन पर करोड़ों रुपए बकाया है लेकिन वह रेंट जमा नहीं करा रहे। अधिकारी मैदान में उतरे और मौखिक रूप से चेतावनी दे दी है। अगर 20 दिन में रेंट जमा नहीं होता है तो खनिज विभाग आवंटन निरस्त करने की कार्रवाई भी शुरू कर सकता है।
जिले में 216 गिट्टी और मुरम की खदानों को लाइसेंस दिए हुए हैं लेकिन पिछले साल 94 ऐसी खदानें सामने आई, जिन्होंने प्रोडक्शन शुरू ही नहीं किया या किया तो उसे कुछ समय चलाकर बंद कर दिया। ऐसे में प्रति हेक्टेयर 1 लाख का रेंट का खनिज विभाग को नुकसान हो रहा है, जिसका सीधा असर इस वित्तीय वर्ष के टारगेट पर पड़ रहा है। खनिज विभाग को इस साल 27 करोड़ राजस्व वसूलने का टारगेट मिला है लेकिन अभी तक 22 करोड़ ही राजस्व जमा हुआ है।
ऐसे में अब अधिकारियों ने सख्त कार्रवाई का मन बना लिया है। जिला खनिज अधिकारी देविका परमार अपनी टीम के साथ खदानों पर पहुंची और उनकी वास्तविक स्थिति पता कर 30 ऐसी खदानों को चिह्नित किया है, जिन्होंने पिछले तीन साल से डेड रेंट जमा नहीं किया है। प्रारंभिक तौर पर सभी खदानों की मैपिंग की गई कि कहां से रेंट नहीं आ रहा है। इसके बाद अधिकारी सबको सूचित कर रहे हैं कि रेंट जमा करा दें। अभी कुछ खदान संचालकों ने राशि जमा कराई है लेकिन यह संख्या बहुत कम है। अब इस आंकड़े बढ़ाने के लिए सख्त कार्रवाई की जा सकती है। जिले में खनिज अधिकारी ने कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रतिदिन दो से तीन खदानों पर टीम पहुंच रही है और उनसे रेंट जमा कराने के लिए कहा जा रहा है। कुछ लोग जमा भी करा रहे हैं लेकिन जो जमा नहीं करा रहे हैं उनके ऊपर कानूनन कार्रवाई की जाएगी।
जांच में 94 खदानें ऐसी सामने आई है, जो डेड रेंट जमा नहीं कर रही है। उनमें भी 30 ऐसी हैं जिन्होंने तीन साल से रेंट जमा नहीं किया। उनकी मैपिंग कर ली गई है। सभी को एक माह का नोटिस दिया जा रहा है। इस अवधि में रेंट जमा नहीं होता है तो भू-राजस्व द्वारा आरआरसी जारी की जाएगी, जिसके बाद आवंटन तो निरस्त होगा ही। साथ ही रेट को चल-अचल संपत्ति को कुर्क कर जमा किया जाएगा। देविका परमार, जिला खनिज अधिकारी
कई खदानें बंद, स्टेट इनवायरमेंट इम्पेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी की परमिशन में लग जाते हैं 8 माह जिले में 216 मुरम व गिट्टी की खदानें हैं। इनमें से 94 अभी बंद है। इनमें 30 ऐसी है जो पिछले तीन साल से डेड रेंट जमा नहीं कर रहे हैं। कई ऐसी भी हैं जो सिया (स्टेट इनवायरमेंट इम्पेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी मप्र) की एनओसी नहीं मिली है। यह एनओसी मिलने में कम से कम 8 माह का समय लगता है लेकिन खदान संचालक को वार्षिक रेंट देना पड़ता है। प्रति हेक्टेयर एक लाख रुपए रेंट बनता है। कई खदान चार से पांच हेक्टेयर की भी है। इसलिए औसतन एक खदान पर 4 लाख रुपए बकाया है, जिसे वसूलने की जद्दोजहद विभाग कर रहा है।