मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना की बदौलत ‘लक्ष्य’ को जन्मजात विकृति से मिली मुक्ति
उज्जैन 11 मार्च। उज्जैन जिले के ग्राम गारडी पिपलोदा निवासी श्री मुकेश चौधरी खेती कर थके
हारे घर लोटते थे तो वे इस बार से बेहद दूखी हो जाते थे कि उनका लाड़ला बेटा लक्ष्य उम्र 02 वर्ष कुछ
बोल नही पाता था, जबकि उसकी उम्र के बच्चें ठीक प्रकार से बाते कर लेते है। श्री मुकेश ने उसका अच्छे
से अच्छे चिकित्सकों से उपचार करवाया इस दौरान आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ा प्रायः
लक्ष्य की बीमारी को लेकर जब वह अपनी पत्नि श्रीमती मनीषा से चिन्ता जाहीर करता था तो मनीषा
उसका मन रखने के लिये उससे कह देती थी कि बड़े बुढ़ो ने ऐसा बताया है कि कोई बच्चा देर से बोलना
सिखता है, मेरे पिता जी कहते है कि कोई बच्चें दो साल तो कोई पांच साल मे बोलने लग जाते है तो
उपर वाला उनमे बोलने की शक्ति कभी-कभी देर से भी देता है।
आर.बी.एस.के. (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) के दल द्वारा अपने भ्रमण मे स्क्रीनिंग के दौरान
जब लक्ष्य के संबंध मे जानकारी प्राप्त की तो उसकी मॉ मनीषा ने बताया कि यह जन्म से ही बोलता
नही है, हमने इसका ईलाज करवा लिया है। आर.बी.एस.के. स्वास्थ्य दल मनीषा को समझाया कि इसके
नही बोलने के पीछे कोई और भी कारण हो सकता है यह श्रवण दोष से ग्रसित है, हो सकता है इसी
जन्मजात विकृति हो अतः इसका निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम
योजना मे किया जा सकता है। आज तुम अपने पति से सायं को इसके लिये चर्चा करना। यदि लक्ष्य के
पिता सहमत हो जाये तो उन्हे समय हो तो तुम दोनो जिला चिकित्सालय उज्जैन मे जिला शीघ्र हस्तक्षेप
केन्द्र (डी.ई.आई.सी.) मे प्रातः मे आ जाना।
लक्ष्य के माता-पिता लक्ष्य को उपचार हेतु जिला चिकित्सालय उज्जैन मे जिला शीघ्र हस्तक्षेप
केन्द्र (डी.ई.आई.सी.) मे लेकर गये जहां विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कर बताया कि लक्ष्य
न सुनने के कारण ही शब्द बोल नही पाता है और सामान्य शब्दों का उच्चारण भी नही कर पाता है, जो
कि उसी के उम्र के बच्चें बोल सकते है यह जन्म जात विकृति होती है यदि इसका ऑपरेशन करवा लिया
जायें तो जन्मजात विकृति तो छुटकारा मिल सकता है। चिकित्सक द्वारा अगले दिन लक्ष्य के माता-पिता
को लक्ष्य को लेकर नोबल अस्पताल इन्दौर जाने हेतु समझाया। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम
(डी.ई.आई.सी.) के कर्मचारियों द्वारा उनको बताया कि सर्जरी हेतु जो भी खर्चा आयेंगा वह मध्यप्रदेश
शासन द्वारा वहन किया जायेंगा। लक्ष्य को उसके माता पिता नोबल अस्पताल इन्दौर ऑपरेशन हेतु ले
गये वहा मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के अन्तर्गत लक्ष्य का सफल ऑपरेशन (कॉक्लीयर एम्पलांट) किया
गया, ऑपरेशन पर कुल 06 लाख 50 हजार रूपयें खर्च हुआ जिसका वहन मध्यप्रदेश शासन किया गया।
ऑपरेशन के उपरांत लक्ष्य का नियमित फॉलोअप लिया जा रहा है एवं उसे स्वीच थेरेपी प्रदान की जा रही
है लक्ष्य अब बोल व सुन सकेगा लक्ष्य के माता पिता को उसके भविष्य की चिन्ता नही है, उनको विश्वास
है कि लक्ष्य पड़ लिखकर अच्छा आदमी बनेगा लक्ष्य के माता पिता मध्यप्रदेश शासन की मुख्यमंत्री बाल
श्रवण योजना का लाभ प्राप्त करके मुख्यमंत्री महोदय को हृदय से कोटी-कोटी धन्यवाद ज्ञापित करते है,
इस योजना के कारण वह इतना महंगा ऑपरेशन निःशुल्क करवाकर अपने बच्चे की जन्मजात विकृति को
हमेशा के लिये मिटवा सकें।