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83 हजार लोगों ने नहीं चुकाया संपित्त कर, नतीजा- 73 की बजाय 26 करोड़ ही मिले


उज्जैन। वित्तीय वर्ष 2023-24 समाप्त होने की कगार पर है, और शहर के एक लाख 33200 संपत्ति करदाताओं में से 83500 लोगों ने अब तक नगर निगम को संपत्ति कर (प्रापर्टी टैक्स) नहीं चुकाया है। या यूं कहे इतने लोगों से अधिकारी-कर्मचारी कर वसूल नहीं पाए हैं। नगर निगम की आर्थिक स्थिति डंवाडोल होने के कुछ नीतिगत और व्यवहारिक कारणों में एक ये भी है।

हालांकि ये सिर्फ इस वर्ष की बात नहीं, ऐसा कई वर्षों से हो रहा है। इस वर्ष निगम के खजाने में लक्ष्य 73 करोड़ 57 लाख रुपये के विरूद्ध केवल 26 करोड़ 75 लाख रुपये जमा हुए। इसके पहले वर्ष 2022-23 में 66531 लोगों के जरिए 35 करोड़ 38 लाख रुपये, वर्ष 2021-22 में 53390 लोगों से 28 करोड़ रुपये, वर्ष 2020-21 में 50450 लोगों से 26 करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 50550 लोगों से 22 करोड़ रुपये जमा हुए थे।

मालूम हो कि नगर निगम ने निकाय क्षेत्र के रहवासियों को उनकी बुनियादी सुविधाएं (सड़क, पानी, सफाई, उद्यान, पथ प्रकाश व्यवस्था आदि) मुहैया कराने के लिए जनता पर तरह-तरह के टैक्स लाद रखे हैं। इनमें एक सबसे प्रमुख संपत्ति कर भी है। सहायक संपत्ति कर अधिकारी,सहायक आयुक्त, उपायुक्त, अपर आयुक्त और आयुक्त तक की जिम्मेदारी है कि वो संपत्ति धारकों से समय पर टैक्स वसूले।

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