उज्जैन में साल में एक बार ही दिन में महाकाल की भस्मारती होती है
उज्जैन में साल में एक बार ही दिन में महाकाल की भस्मारती होती है, और वह दिन है महाशिवरात्रि का अगला दिन। इस दिन, भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और उन्हें सवा क्विंटल फूलों से बना मुकुट पहनाया जाता है। इसके बाद, सेहरा दर्शन और पारणा दिवस मनाया जाता है।
दिन में भस्मारती होने का कारण:
- महाशिवरात्रि के दौरान, भगवान महाकाल का निर्जला अभिषेक किया जाता है। यह अभिषेक 44 घंटे तक चलता है।
- महाशिवरात्रि के अगले दिन, सुबह 4 बजे से बाबा को सेहरा चढ़ाया जाता है और सुबह 6 बजे सेहरा आरती की जाती है।
- सेहरा आरती के बाद, भस्मारती होती है, जो आमतौर पर तड़के 4 बजे होती है।
- लेकिन महाशिवरात्रि के अगले दिन, भस्मारती दोपहर 12 बजे होती है।
यह परंपरा क्यों निभाई जाती है:
- यह माना जाता है कि महाशिवरात्रि के बाद, भगवान महाकाल विवाहित होते हैं।
- विवाह के बाद, पति पत्नी के साथ सुबह नहीं, दोपहर में भोजन करते हैं।
- इसी परंपरा का पालन करते हुए, महाकाल की भस्मारती भी दोपहर में होती है।
यह परंपरा केवल एक बार क्यों होती है:
- यह परंपरा महाशिवरात्रि के बाद एक बार ही होती है, क्योंकि विवाह भी एक बार ही होता है।
- यह भगवान महाकाल और माता पार्वती के विवाह का प्रतीक है।
यह परंपरा उज्जैन में ही क्यों होती है:
- उज्जैन को भगवान महाकाल का धाम माना जाता है।
- महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- महाशिवरात्रि का त्योहार उज्जैन में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
यह परंपरा भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है।