नए अफसरों को सुनाए विक्रम-बेताल के प्रसंग-मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
सिंहस्थ-2028: उज्जैन-इंदौर संभाग बनेगा धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिंहस्थ-2028 के लिए उज्जैन-इंदौर संभाग को धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शहरों में होटल-धर्मशालाओं के अलावा ग्रामीण इलाकों में होम स्टे विकसित किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को मंत्रालय में सिंहस्थ 2028 की समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर, खंडवा में स्थित दादा धूनी वाले, भादवामाता, नलखेड़ा, ओंकारेश्वर आदि स्थलों तक सुगम आवागमन और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार को सिंहस्थ कार्ययोजना में शामिल किया जाए।
सिंहस्थ में 18240 करोड़ की लागत से कुल 523 काम किए जाने हैं। कुल 14 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। बैठक में परिवहन, क्षिप्रा शुद्धिकरण, रुकने की व्यवस्था, सड़कों, पर्यटन स्थल विकास आदि पर चर्चा हुई। समीक्षा में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, करण सिंह वर्मा, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट आदि उपस्थित थे।
नए अफसरों को सुनाए विक्रम-बेताल के प्रसंग
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एमपीपीएससी में चुने गए उम्मीदवारों से कहा कि वे अनुशासन में रहकर अपनी दक्षता बढ़ाने पर काम करते रहें। उन्होंने विक्रम-बेताल के कई प्रसंग बताकर प्रशासन-प्रबंधन के गुर साझा किए।
डॉ. यादव राज्य सेवाओं के अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रशासन अकादमी में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अनुशासन, समय का पालन और नैतिकता सफलता की कुंजी हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को जनता की सेवा करने और विकास कार्यों को गति देने के लिए समर्पित भाव से काम करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विक्रम-बेताल की कहानियां जीवन के कई पहलुओं को सिखाती हैं। उन्होंने कहा कि इन कहानियों से प्रेरणा लेकर अधिकारी बेहतर प्रशासक और प्रबंधक बन सकते हैं।
सिंहस्थ-2028 की मुख्य बातें
- तारीख: 27 मार्च से 27 मई 2028
- स्थान: उज्जैन
- संभावित श्रद्धालु: 14 करोड़
- कार्यों की लागत: 18240 करोड़
- कार्यों की संख्या: 523
- मुख्य कार्य:
- क्षिप्रा नदी का शुद्धिकरण
- रुकने की व्यवस्था (होटल, धर्मशाला, होम स्टे)
- सड़कों का विकास
- पर्यटन स्थल विकास
- धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट का विकास
मुख्यमंत्री का संदेश
- अनुशासन, समय का पालन और नैतिकता सफलता की कुंजी हैं।
- अधिकारियों को जनता की सेवा करने और विकास कार्यों को गति देने के लिए समर्पित भाव से काम करना चाहिए।
- विक्रम-बेताल की कहानियां जीवन के कई पहलुओं को सिखाती हैं।
- अधिकारी इन कहानियों से प्रेरणा लेकर बेहतर प्रशासक और प्रबंधक बन सकते हैं।
सिंहस्थ-2028: उज्जैन-इंदौर संभाग बनेगा धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट