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ज्ञान के बिना आनंद नहीं - सरोद वादक पंडित बृजनारायण ने कहा - दो संस्थानों में दी वादन की प्रस्तुति


उज्जैन। ज्ञान के बिना आनंद नहीं है। उक्त उद्गार स्पीक मैके की वार्षिक श्रृंखला एसआरएफ विरासत 2024 के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में मंगलवार को मुंबई के सुप्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान के सुयोग्य शिष्य पंडित बृजनारायण ने उज्जैन के 2 संस्थानों में अपनी प्रस्तुति देते हुए कही। 
प्रथम प्रस्तुति प्रातः 11:45 बजे शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम डेंडिया इंदौर रोड पर हुई। उन्होंने प्रातः कालीन राग लूम, तीन ताल एवं 16 मात्रा में निबद्ध एक बंदिश पहले विलंबित फिर, द्रूत लय में प्रस्तुत कर अपने वादन की शुरुआत की। सरोद के तार झंकृत होते ही माहौल सुरमई संगीत की धुनों में खुशनुमा हो गया। एक के बाद एक पेश बंदिश की जानकारी देते हुए पंडित बृजनारायण ने बताया कि भारतीय संगीत सभी संगीतों की जननी है और हमें इसे भावी पीढ़ी के लिए बचा कर रखना है। उन्होंने आगे छात्र- छात्राओं को बताया कि सरोद वाद्य यंत्र में 25 तार होते हैं और इसकी मधुर स्वर लहरियां मन को झंकृत कर देती हैं। कार्यक्रम के अंत में नरसिंह मेहता द्वारा रचित महात्मा गांधी के प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेने कहिए राग खमाज, दादरा ताल एवं 6 मात्रा में बजाकर अपनी प्रस्तुति कर सुंदर  समाहार किया। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत प्रधानाध्यापिका सपना नागदेवानी ने किया। स्पीक मेैके के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने बताया कि बृजनारायण की द्वितीय प्रस्तुति दोपहर 3 बजे ज्ञानोदय विद्यालय ग्राम लालपुर में हुई। उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत राग गौड़ सारंग झप ताल एवं 10 मात्रा में निबद्ध एक बंदिश पहले मध्य लय फिर तीन ताल तीव्र गति में प्रस्तुत की। उन्होंने छात्र-छात्राओं को बताया कि जैसे अक्षर से शब्द बनते हैं वैसे ही सात स्वरों से रागों का निर्माण होता है। रागों में समय का बड़ा महत्व होता है। तत्पश्चात छात्राओं को शास्त्रीय संगीत को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाने के लिए प्रेरित किया। पंडित जी के साथ तबले पर सुसंगत रमेन्द्र सिंह सोलंकी ने की। स्वागत छात्रावास अधीक्षिका सुनीता कुरील ने किया।

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