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आईसीयू में क्लास डॉक्टर का संतुलन बनाया तो माधवनगर अस्पताल में संकट खड़ा हो गया


पीजी पदों के भरोसे चल रहे जिला अस्पताल के आईसीयू में क्लास डॉक्टर का संतुलन बनाया तो माधवनगर अस्पताल में संकट खड़ा हो गया। यहां विभाग में क्लास वन डॉक्टर्स की कमी हो गई। इसका सीधा असर चिकित्सा सेवाओं पर पड़ रहा है। ऐसे में अस्पताल की चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही है और मरीजों को समय पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा नहीं मिल पा रही है।

मरीजों को इंदौर रैफर होना पड़ रहा है या आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज जाना पड़ रहा है या प्राइवेट अस्पतालों में महंगा इलाज करवाने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिला अस्पताल से लेकर माधवनगर अस्पताल लंबे समय से डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है। जिला अस्पताल में मरीजों के मान से आईपीएचएस यानी इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के तहत करीब 77 डॉक्टर्स चाहिए, जिसके तहत खाली पड़े पदों पर डॉक्टर्स की पोस्टिंग नहीं की जा रही है। संविदा या बांड पर आने वाले डॉक्टर्स एक समयावधि के बाद चले जाते हैं या बीच में भी छोड़कर चले जाते हैं, जिससे मरीजों के इलाज का संकट खड़ा हो रहा है।

माधवनगर अस्पताल में मेडिसिन में दो क्लास वन डॉक्टर हैं, जिसमें से एक डॉ. एचपी सोनानिया को जिला अस्पताल के आईसीयू में भी पदस्थ किया है और दूसरी क्लास वन डॉक्टर छुट्टी पर हैं। वैसे भी डॉक्टर के अवकाश या कोर्ट पेशी या वीवीआईपी ड्यूटी में जाने पर मरीजों के इलाज के लिए क्लास वन डॉक्टर मिलना मुश्किल हो जाएगा।

यह संकट इसलिए भी खड़ा हो गया है कि जिला अस्पताल व इसके अधीन संचालित अस्पतालों में स्वीकृत पदों के तहत डॉक्टर्स की पदस्थापना नहीं है। इसके तहत करीब 38 डॉक्टर्स की कमी बनी हुई है। ऐसे में अस्पताल की चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही है और मरीजों को समय पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा नहीं मिल पा रही है।

डॉक्टर्स की कमी को पूरा किए जाने के लिए वरिष्ठ कार्यालय को लिखा जा चुका है। माधवनगर अस्पताल के क्लास वन डॉक्टर जिला अस्पताल के आईसीयू सहित दोनों जगह पर मरीजों को देखेंगे, ताकि संतुलन बना रहे।

डॉ. पीएन वर्मा, सिविल सर्जन

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