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आयुर्वेद चिकित्सालय में मेडिकेटेड धागा उपयोग कर क्षार सूत्र प्रक्रिया से पाइल्स, फिस्टुला जैसी बीमारियों का इलाज, दावा-फिर से नहीं होती


धन्वंतरि आयुर्वेद चिकित्सालय में सुश्रुत संहिता अनुसार बताई गई प्रक्रिया से प्रॉक्टोलॉजी से जुड़ी बीमारियां जैसे पाइल्स, फिस्टुला आदि का उपचार किया जा रहा है। इस विधि की खास बात यह है कि एक बार उपचार या ऑपरेशन पूर्ण होने के बार यह बीमारी फिर नहीं होती। प्रत्येक महीने ओपीडी में लगभग 500 मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जिनमें से 95 प्रतिशत तो सिर्फ दवाई से ही ठीक हो रहे हैं।

बाकी 5 प्रतिशत के लिए विशेष शल्य क्रिया क्षार सूत्र प्रक्रिया का उपयोग किया जा रहा है। पाइल्स, फिस्टुला, फिशर, रेक्टल पॉलीप, पार्शियल रेक्टल प्रोलैप्स, पायलोनिडल साइनस, रक्तज अर्श, गुदा मार्ग का सकरा होना आदि सभी रोगों का उपचार रोग स्थिति अनुसार औषधी और शल्य क्रिया क्षार सूत्र विधि द्वारा किया जाता है। इनमें से कई रोग ऐसे हैं, जो ऑपरेशन करवाने के बावजूद वापस शरीर में पनप जाते हैं।

शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के शल्य तंत्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. दिवाकर पटेल ने बताया कि यह सालों पुरानी प्रकिया है, जो मरीजों के लिए रामबाण उपचार है। हमारे पास रोजाना कई मरीज आते हैं और खास बात यह है कि आज तक उपचार के बाद किसी भी मरीज में बीमारी का दोहराव नहीं देखा गया है। यह प्रक्रिया शरीर से इन बीमारियों को जड़ से खत्म कर देती है।

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