केडी गेट चौड़ीकरण की प्लानिंग में कमी
केडी गेट चौड़ीकरण में प्लानिंग की कमी के चलते प्रोजेक्ट अब भी उलझन में है। स्वर्ग-सुंदरम के समीप व्यवासयिक काॅम्प्लेक्स का निर्माण अधूरा ही रह गया। कानीपुरा मल्टी का काम पूरा न होना। यह कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जिनके कारण हर व्यक्ति नगर निगम के प्रोजेक्ट में शामिल होने से ही डरने लगा है। इन सबके बीच सिंहस्थ की तैयारी भी बड़ी चुनौती है।
भास्कर ने निगम के प्रोजेक्ट फेल होने के कारणों की पड़ताल की तो सामने आया कि निगम के आधे डिपार्टमेंट प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं, वहीं सालों से पदोन्नत नहीं होने से योग्यता रखने वाले निगमकर्मियों में निराशा का माहौल बना हुआ है। पांच से आठ साल में पदोन्नति करने के शासन के आदेश पर भी अमल नहीं किए जाने से योग्यता रखने वाले अफसरों को बरसों-बरस भी पदोन्नति नहीं मिली पाई है।
नतीजा- कर्मचारियों में निराशा और निगम के प्राेजेक्ट अधूरे या फिर विवादों में उलझे पड़े हैं। अहम पदों में से एक कार्यपालन यंत्री के नाम पर निगम में सिर्फ दो ही अफसर हैं। एक अनिल जैन और दूसरे जगदीश मालवीय। जबकि यह संख्या बहुत कम है। निगम में 7 कार्यपालन यंत्री होना चाहिए लेकिन काम सिर्फ दो ही कर रहे हैं। इसका स्थाई समाधान भी निगम के अफसर ही बताते हैं कि 8 उपयंत्री 13 साल से उपयंत्री पदस्थ होकर पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं, जिन्हें सहायक यंत्री बना दिया जाए तो ईई का प्रभार दिया जा सकता है।
इससे निगम के प्रोजेक्ट भी आसानी से पूरे हो सकेंगे। यही नहीं, 5 साल से उपयंत्री के पद पर काम कर रहे अधिकारियों को सहायक उपयंत्री बनाते हुए जोनल अधिकारी की जिम्मेदारी दी जा सकती है। संपत्तिकर की वसूली में टीम को झाेंक देने के बाद भी उम्मीद के मुताबिक वसूली नहीं होने का बड़ा कारण, सभी जोनों में सहायक संपत्तिकर अधिकारियों का नहीं होना है।