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बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन की आबो-हवा खराब हुई खराब


बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन की आबो-हवा खराब हुई खराब
 उज्जैन । बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन की आबो-हवा खराब हो गई है। वायु प्रदूषण का ग्राफ 300 पार पहुंच गया है। ये स्थिति स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। परिणाम, श्वास के मरीजों की मुश्किलें बढ़ने के रूप में दिखाई दे रहा है। कारण, शहर में फुटफाल बढ़ना और प्रदूषण नियंत्रण के लिए जारी नियम-निर्देशों का क्रियान्वयन ठीक से न होना है। नगर निगम वायु गुणवत्ता सुधारने को प्रयास कर रहा है पर नतीजे प्रयासों में कमियां उजागर कर रहे हैं।मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 60 से कम बेहतर, 100 से अधिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं (अनहेल्दी), 200 से अधिक अत्यंत अनहेल्दी और 300 से अधिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना गया है।26 दिसंबर को शहर का एक्यूआइ 313 और 27 दिसंबर को 307 पहुंचा। इसके पहले 300 पार आंकड़ा इस वर्ष दीपावली के दिन था, वो भी अब तक का सर्वाधिक 339। प्रबुद्धजनों का कहना है कि ये रिपोर्ट वैसे भी उज्जैन के सटीक आंकड़े व्यक्त नहीं करती। क्योंकि जहां वायु प्रदूषण मापने को यंत्र लगा रखा है, वहां बहुतायत में ना लोगों की आवाजाही होती हैं और ना ही वाहनों का दबाव होता हैं।
उज्जैन, प्रदेश के छह प्रदूषित नान अटेनमेंट शहरों की सूची में शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन शहरों में धूल की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और श्वांस से जुड़ी कई बीमारियां घर कर रही हैं।
वायु गुणवत्ता खराब होने की ये भी मुख्य वजह
सड़कों पर सिटी बस जैसी सुविधाओं की कमी के कारण निजी वाहनों का उपयोग बढ़ना।
सड़कों पर अनफिट धुआं उगलते वाहनों का संचालन।
वन क्षेत्र की कमी और पेड़-पौधों के लिए आरक्षित जमीन पर अतिक्रमण।
विकास के नाम पर हरे-भरे विशाल वृक्षों की कटाई और उनकी जगह।
इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर मगर चार्जिंग स्टेशन नहीं
वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए शासन-प्रशासन बीते कुछ वर्षों से इलेक्ट्रिक चलित वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दे रहा है मगर व्यवस्था ये है कि यहां चार्जिंग स्टेशन स्थापित नहीं करवा रहा। नगर निगम 30 स्थानों पर चार्जिंग स्टेशन खोलने को टेंडर कर चुका है मगर कार्य आदेश अब तक जारी नहीं हुआ है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए ये उपाय जरूरी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार प्रदूषण नियंत्रण के लिए पेट्रोल-डीजल चलित वाहनों का संचालन कम कराना होगा। विकल्प स्वरूप इनकी जगह सीएनजी, इलेक्ट्रिक चलित वाहन का इस्तेमाल कराना होगा। रोटरी, बगीचों में और सड़क किनारे छायादार नीम, पीपल, बरगद, शीशम जैसे पेड़ लगाने होंगे। लोगों को कम दूरी यात्रा पैदल या साइकिल से करने के लिए प्रेरित करना होगा। नगर निगम, ट्रांसपोर्ट और खाद्य विभाग मिलकर काम करेंगे तो उज्जैन की आबोहवा फिर अच्छी हो जाएगी।

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