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निगम में डीजल की बड़ी धांधली के बाद बड़ा फैसला अधिकारियो का गाडी में फूल टेंक अब बंद


निगम में डीजल की बड़ी धांधली के बाद बड़ा फैसला अधिकारियो का गाडी में फूल टेंक अब बंद 

अगस्त में एक समीक्षा बैठक में पकड़ में आई। तत्कालीन वाहन शाखा प्रभारी विजय गोयल को हटाया और चार्ज उमेश बैस को दिया गया। उस समय इसे व्यवस्थागत सुधार का हवाला दिया गया लेकिन तीन माह बाद आए आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

अगस्त तक प्रतिमाह औसतन 60 लाख रुपए डीजल पर खर्च हो रहे थे लेकिन अफसर बदलते ही डीजल का खर्च 40 लाख रुपए रह गया। मतलब, हर माह 20 लाख रुपए की बचत। यहां सवाल खड़ा होता है कि आखिर यह डीजल कहां जा रहा था।

भास्कर के सवाल पर अधिकारियों का कहना है कि वाहनों का मिस यूज तो हो रहा था। उसके पकड़ में आते ही व्यवस्था में बदलाव किया। वाहन शाखा प्रभारी को बदला गया और एक उपयंत्री को मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी दी गई। सतत मॉनीटरिंग की व्यवस्था बनाई। तीन माह के आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि जहां प्रतिमाह 60 से 70 हजार लीटर डीजल खर्च हो रहा था, वहीं पिछले तीन माह में 40 से 50 हजार लीटर डीजल की खपत ही रह गई।

मतलब, प्रतिमाह 20 हजार लीटर डीजल की बचत। इस पर निगम को प्रतिमाह 20 लाख रुपए की औसत बचत हुई। उस समय के कर्मचारियों पर कार्रवाई को लेकर अधिकारी स्पष्ट कहने से बच रहे हैं। उनका मानना है कि सिस्टम सुधर गया है। बचत हुई है, कार्रवाई को लेकर अभी कुछ नहीं है।
इन कारणों से कम हुई डीजल की खपत

जेसीबी 8-8 घंटे चल रही थी लेकिन मौके पर काम 4-4 घंटे का ही हो रहा था। जेसीबी को 4-4 घंटे का ही डीजल दिया गया।
अधिकारियों के वाहनों के फुल टैंक के कल्चर को खत्म किया गया। जितने डीजल की जरूरत होती, उतना ही भरने की व्यवस्था बनाई गई।
एमआर-5 पर डंप होने वाले स्वीपिंग मशीन के राउंड की मॉनीटरिंग की गई। हर दिन दो से तीन राउंड ज्यादा दर्शाए गए हैं, जिसे कम किया।
वाहनों की सतत मॉनीटरिंग की व्यवस्था बनाई। वाहन शाखा प्रभारी विजय गोयल को हटाकर उमेश बैस को चार्ज दिया। उनसे हर सप्ताह रिपोर्ट ली गई, जिससे डीजल खर्च कम होता गया।
फुल टैंक के कल्चर को खत्म किया

निगम के वाहनों में पहले फुल टैंक का कल्चर था, जिसे खत्म किया गया। अधिकारी के वाहन हो या फिर कोई अन्य वाहन। उन्हें उतना ही डीजल दिया गया, जितनी जरूरत थी। प्रति माह 20 लाख रुपए की बचत हो रही है।

- रोशनकुमार सिंह, आयुक्त, नगर निगम

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