top header advertisement
Home - उज्जैन << मुस्लिम महिलाओं के दांपत्य अधिकारों को लेकर इंदौर फैमिली कोर्ट ने अहम आदेश दिया

मुस्लिम महिलाओं के दांपत्य अधिकारों को लेकर इंदौर फैमिली कोर्ट ने अहम आदेश दिया


मुस्लिम महिलाओं के दांपत्य अधिकारों को लेकर इंदौर फैमिली कोर्ट ने अहम आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है, निजता के लिए संयुक्त परिवार में अलग कमरा मांगने का हक हर महिला को है। शरीयत भी इसकी मंजूरी देता है। सिर्फ इस आधार पर तलाक लेने का हक नहीं दिया जा सकता। 78 पेज के आदेश में कोर्ट ने पत्नी को बड़ी राहत दी है। पति को दो माह के भीतर पत्नी को घर ले जाने के आदेश दिए हैं। पत्नी 5 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रही थी। प्रथम प्रधान न्यायाधीश संगीता मदान ने आदेश में मुस्लिम लॉ, शरीयत के अलावा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का विस्तृत उल्लेख किया है।

अधूरी प्रक्रिया से तीन तलाक भी अवैध

एडवोकेट प्रमोद जोशी ने बताया, इंदौर के मोती तबेला में रहने वाली महिला का निकाह 2011 में उज्जैन के युवक से हुआ था। 2012 में दोनों को बेटी हुई। संयुक्त परिवार था। घर छोटा होने के चलते महिला को पति के साथ ड्राइंग रूम में रहना पड़ता था। उसने घर में अलग कमरे की मांग की तो विवाद होने लगे। मई 2014 में पति ने उसे मायके छोड़ दिया।

इसी बीच तीन तलाक दे दिया। नवंबर 2018 में महिला ने फैमिली कोर्ट में केस लगाया। पांच साल बाद कोर्ट ने फैसले में कहा, पति ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन (2017) के अनुसार तीन तलाक लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है, इसलिए यह अवैध है। उसे पत्नी के साथ रहना होगा। एडवोकेट प्रीति मेहना ने बताया, यह आदेश देश की 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं के दांपत्य अधिकारों के लिए नजीर साबित होगा। इसमें औरंगजेब के समय के महिला हकों का भी उल्लेख है।

Leave a reply