टाटा कंपनी का अंडरग्राउंड सीवेज प्रोजेक्ट 401 से 438 करोड़ का हुआ
2017 में अंडरग्राउंड सीवेज लाइन डालने के करीब 401 करोड़ के प्रोजेक्ट पर टाटा ने काम शुरू किया। प्रोजेक्ट को 2019 में पूरा करना था। महज 24 महीने में लेकिन 6 साल बाद भी प्रोजेक्ट अधूरा है। चौंकाने वाली बात यह है कि गलियों और कॉलोनियों में डाली लाइनों के कनेक्शन कुछ ही दिन पहले शुरू हुए हैं, जबकि हाउस कनेक्शन की स्थिति में अभी प्रोजेक्ट पहुंचा ही नहीं है। इनसे भी अलग चिंता करने की बात यह है कि प्रोजेक्ट 401 करोड़ से 438 करोड़ का हो गया। फिर भी शहर का 100 फीसदी हिस्सा कवर नहीं हो रहा है। अभी 36 वार्ड और 9 वार्ड आंशिक रूप से ही कवर हो पाए हैं, जबकि बचे हुए 9 वार्ड इस प्रोजेक्ट में ही नहीं आ रहे हैं। सरकार अमृत-2 प्रोजेक्ट भी ला रही है। बचे हुए वार्डों को इनमें सम्मिलित किया गया है।
{ भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में काम करना चुनौती, टाटा और निगम के अफसरों ने डेटलाइन का अनुमान सही नहीं लगाया। { एजेंसी की खुद की टीम नहीं। टेंडर मिलने पर शहर के ही ठेकेदारों को पेटी कांट्रेक्ट दे दिया गया। { संसाधनों की कमी। बड़े काम के लिए मशीनें लाने में ही महीनों लगे। { पेटी कांट्रेक्टरों को पेमेंट नहीं मिला, बड़े काम का अनुभव नहीं था, जिससे वह काम छोड़कर चले गए। उन्हें मनाना बड़ी चुनौती। { धार्मिक नगरी होने के चलते टाटा को महाकाल क्षेत्र और महाकाल लोक में काम करने में परेशानी का सामना करना पड़ा।
टाटा के कामों से असंतुष्ट हूं ^काम कराना अफसरों की जिम्मेदारी है। टाटा के कामों से मैं भी संतुष्ट नहीं हूं। कई बार चेतावनी दी और जुर्माने की भी कार्रवाई करवाई। लेकिन काम तो अफसरों को ही कराना है। प्रोजेक्ट को पूरा कराने के लिए अफसरों पर सख्ती की जाएगी। मुकेश टटवाल, महापौर बारिश बाद काम में गति आई ^आयुक्त हर सप्ताह टाटा के काम की समीक्षा कर रहे हैं। बारिश के बाद टाटा के काम में गति आई है। कोविड तो कभी जमीनों के आवंटन की समस्या के कारण देरी हुई। मैनहोल्स बनाना शुरू कर दिए हैं। प्रोजेक्ट को जल्दी पूरा किया जाएगा । -आरआर जारोलिया, अधीक्षण यंत्री, ननि