ईर्ष्या व क्रोध किसी के भी विवेक को हर लेता है, इसलिए इनसे बचकर रहने की जरूरत -स्वामीजी
ईर्ष्या और क्रोध विवेक को हर लेता है। उससे बचकर रहने की जरूरत है। भगवान भाव के भूखे हैं, अहंकार मानव का हो या देवता का भगवान उसे दूर कर देते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने देवताओं की अपेक्षा बूढ़ों और बच्चों को भोजन कराने का संदेश दिया। यह अहंकारी इंद्र को अच्छा नहीं लगा और भगवान श्रीकृष्ण के खिलाफ हो अपनी शक्ति का प्रयोग किया, जिसे भगवान ने अपनी शक्ति के माध्यम से पस्त कर दिया।
अलकापुरी रिंगरोड स्थित उद्यान में गुरुवार को श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानंद गिरिजी महाराज ने यह बात कही। कथा के अंतर्गत भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन पकवानों का भोग लगाए गए। स्वामीजी ने हर व्यक्त को अपने जीवन में एक पौधा लगाने का संकल्प दिलाया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। पं. रामलखन शर्मा ने बताया कि गुरुवार को श्रीमद्भागवत पुराण का पूजन ब्रजभानसिंह चंदेल ने किया। आरती गोपाल पोरवाल, अमित परिहार, चेतना तोमर और मंजू तोमर ने की। शुक्रवार को रुक्मिणी-श्रीकृष्ण विवाह होगा। कथा का लाभ लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।