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तीर्थ को पर्यटन स्थल न बनाएं, मठ-मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो -शंकराचार्यजी


भारत हिंदू राष्ट्र घोषित हो, देश के सभी मठ-मंदिर सरकारी नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त हो, किसी भी तीर्थ को पर्यटन स्थल नहीं बनाया जाना चाहिए। उसे धर्म का केंद्र बनाएं न कि पर्यटन का केंद्र।

शिप्रा तट स्थित झालरिया मठ में श्री गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर श्री मज्जगदुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलाचंद सरस्वती महाराज ने यह आशीर्वचन दिए। दो सत्रों में आयोजन हुआ। पहला सत्र दोपहर 12.30 से 1 बजे तक हुआ। इसमें शंकराचार्यजी ने कहा कि धर्म स्थल की अपनी महत्ता होती है। उसे उसी रूप में सहेजना परम आवश्यक है। उसे किसी और रूप में बदलना उचित नहीं है। दूसरा सत्र शाम 6 बजे आयोजित किया गया। इसमें शंकराचार्यजी ने महाकालेश्वर की महिमा का गुणगान किया। उन्होंने आशीर्वचन में कहा कि महाकाल कालों के काल हैं। गोशाला केवल दूध और अन्य गो उत्पाद के लिए संचालित न की जाए। उसका उपयोग गो पालन उनके रख-रखाव के लिए किया जाना चाहिए। गो हत्या रोकने के लिए सभी स्तर पर पर्याप्त उपाय किए जाएं। उन्होंने कहा गो माता का पालन करने से ही विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। उनकी उपेक्षा करना उचित नहीं है, इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। शंकराचार्यजी सुबह 6.30 बजे ट्रेन से शहर आए। झालरिया मठ में तीन दिवसीय कार्यक्रम होगा। इसके अंतर्गत पहले दिन विद्वत संगोष्ठी और आशीर्वचन हुए। दूसरे दिन 22 दिसंबर को धर्मसभा का आयोजन शाम 5 से रात 8 बजे तक किया जाएगा। इसमें संत, महंत, महामंडलेश्वर और विद्वतजन सहभागिता करेंगे।

गोशाला केवल दूध के लिए नहीं हो

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