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अफसर-नेता बैठकों तक सीमित, ट्रैफिक थाना रोड पर लाइट बंद


आचार संहिता हटी तो एक बार फिर एमआईसी सदस्यों की बैठकों का दौर शुरू हाे गया। इनका नतीजा निकले या न निकले, खानापूर्ति जरूर हो जाती है। बुधवार को भी ऐसा ही हुआ। विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग प्रभारी दुर्गाशक्ति सिंह चौधरी ने प्रकाश विभाग द्वारा कराए जा रहे विभिन्न कार्यों की समीक्षा की। करीब एक घंटे बैठक चली। बैठक में सिर्फ इधर-उधर की बातें ही हुईं। कहने को एमआईसी प्रभारी चौधरी ने अफसरों से पथ प्रकाश व्यवस्था के संधारण संबंधी कार्यों की जानकारी ली और संधारण कार्य बेहतर होने की तारीफ भी की। लेकिन हकीकत इससे अलग है। शहर के कई हिस्सों में शाम होते ही स्ट्रीट लाइटें बंद मिलती है।

इसका ताजा उदाहरण ट्रैफिक थाने के सामने वाले रोड का है। जहां कई दिनों से स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी है। ताज्जुब की बात यह है कि जनप्रतिनिधि बगैर गंभीरता के बैठकें लेते हैं, क्योंकि शहर की स्ट्रीट लाइटें तो न यह सुधार पा रहे हैं और न ही अफसर कुछ कर पा रहे हैं। भास्कर ने एमआईसी सदस्य दुर्गा चौधरी से पूछा कि आखिरी बैठकों में होता क्या है। सिर्फ बातें होती है या फिर काम भी होता है। जवाब में चौधरी बोलीं- हम निर्देश देते हैं। काम करना नहीं कराना, अफसर और कर्मचारियों का काम है। बैठक में उपायुक्त संजेश गुप्ता, प्रकाश विभाग प्रभारी जितेंद्रसिंह जादौन, उपयंत्री आनंद भंडारी उपस्थित रहे।

राजस्व प्रभारी ने ली ट्रेड लाइसेंस शाखा की बैठक, नहीं पूछा कितनी दुकानें हैं शहर में

एक और बैठक राजस्व प्रभारी रजत मेहता ने ट्रेड लाइसेंस शाखा की ली। यहां भी कई तरह की बातें हुई लेकिन शहर में कितनी मांस-मछली की दुकानें है, यह आंकड़ा राजस्व प्रभारी भी नहीं निकलवा पाए। राजस्व प्रभारी ने बतौर निर्देश यह जरूर कहा कि राजस्व वसूली बढ़ाई जाए। इसके लिए विभिन्न व्यापारिक संगठनों से बात करें।

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