अफसरों की कई गड़बड़ियां आई सामने
हरिफाटक ब्रिज के पास मेघदूत वन पार्किंग। 11 करोड़ की लागत से सरफेस पार्किंग तैयार की गई। यहीं पर स्मार्ट सिटी के अफसरों ने प्रोजेक्ट बनाया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कुछ दुकानें और होटल भी बनाई जाए। प्रोजेक्ट बना और नाम दिया मेयर स्ट्रीट। जहां 28 दुकानें, 1 रेस्टोरेंट, 2.5 मीटर का पाथ-वे, बैठने के लिए बैंचेस, लाइटिंग पोल लगाने का प्लान तैयार किया। 18 दुकानें लगभग तैयार भी हो गई लेकिन रातों-रात स्मार्ट सिटी के अफसरों को क्या हुआ कि सभी दुकानों पर बुलडोजर चलवा दिया। इसका कारण पूछने पर अफसरों ने चुप्पी साध ली है।
सवाल उठता है कि प्लानिंग सही नहीं थी या किसी विशेष का हित प्रभावित हो रहा है, जिसके आदेश पर दुकानों को ढहा दिया गया। जो भी हो, 2 करोड़ से अधिक की लागत से तैयार हो रही दुकानों पर प्लानिंग करने वाले अफसरों ने ही बुलडोजर चला दिया। अब अफसर इस संबंध में चुप्पी साधे बैठे हुए हैं। स्मार्ट सिटी सीईओ आशीष पाठक ने फोन रिसीव नहीं किया।
स्मार्ट सिटी के अधीक्षण यंत्री ने कहा- मैं छुट्टी पर हूं। आकर देखता हूं क्या मामला है। स्मार्ट सिटी के कार्यकारी निदेशक रोशनकुमार सिंह और कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने भी फोन रिसीव नहीं किया। इधर, महापौर मुकेश टटवाल का कहना है कि मैं भी सुबह से अफसरों से पूछ रहा हूं लेकिन इस संबंध में कोई भी अफसर जवाब नहीं दे रहा है कि मेयर स्ट्रीट की दुकानें क्यों तोड़ी?
एक जमीन पर दो प्रोजेक्ट
स्मार्ट सिटी के अफसरों की कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। स्मार्ट सिटी और निगम अफसरों की गड़बड़ी से इसी जमीन पर दो प्रोजेक्ट के टेंडर हो गए थे। स्मार्ट सिटी ने यहां पार्किंग बनाना तो निगम का ठेकेदार यहां टेंडर मिलने पर प्रवचन हाॅल बनाने पहुंचा। प्रवचन हॉल का प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का था लेकिन पार्किंग का काम शुरू होने से अफसरों ने आश्वासन दिया कि प्रवचन हाॅल के लिए दूसरी जमीन तलाश लेंगे। सालभर बाद भी प्रवचन हाॅल के लिए अफसर जमीन तलाश नहीं कर सके।