उज्जैन आगर रोड़ का चौड़ीकरण कर हाईवे की तरह सड़क निर्माण किया गया है जिस पर प्रतिदिन हादसे
हाईवे पर आमतौर पर रोड़ डिवाइडर को सड़क के बीचोंबीच 2 फीट अथवा इससे अधिक चौड़ा बनाया जाता है। जिसमें पेड़-पौधे लगाने की जगह होती है। यदि संतुलन बिगडऩे से वाहन चालक डिवाइडर पर वाहन चढ़ा भी दे तो बड़ी दुर्घटना नहीं होती। इंदौर रोड़ हाईवे इसका उदाहरण है, जबकि उज्जैन आगर रोड़ के बीच बनाये गये डिवाइडर की चौड़ाई मात्र 1 फीट है।
इसमें ठेकेदार द्वारा एंगल लगाकर दोनों साइड को विभाजित किया गया है। अपनी साइड पर चलने वाले वाहन चालक की परेशानी यह है कि संतुलन बिगडऩे अथवा किसी विपरीत परिस्थिति में उसका वाहन डिवाइडर से टकराता है तो वह उछलकर दूसरी साइड पर तुरंत पहुंचकर बड़ी दुर्घटना का शिकार हो जाता है। इसी डिवाइडर पर के बीचोंबीच ठेकेदार ने सोलर ऊर्जा से चलने वाले संकेतक भी लगाये हैं। जो रात के समय बंद-चालू होते हैं। यह संकेतक मुख्य चौराहों और रोड के टर्न पर लगे हैं, लेकिन वर्तमान में डिवाइडर के बीच लगे अधिकांश संकेतक बंद हो चुके हैं।