52 साल बाद उज्जैन ने मोहन के रूप में दिया दूसरा मुख्यमंत्री
यह 13 मार्च की बात है। जब उज्जैन में तेजी से खबर फैली कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा को बदलने का फैसला भाजपा हाईकमान ने कर लिया है। उज्जैन में खबर यह थी कि पिछड़ा वर्ग के प्रमुख नेता होने के कारण मोहन यादव को इनमें से कोई पद मिल सकता है। जल्द ही भोपाल के सूत्रों ने कन्फर्म किया कि मोहन यादव मुख्यमंत्री बन सकते हैं। एक-दो दिन में घोषणा हो जाएगी।
इसके अगले दिन मोहन यादव की माताजी के निधन की सूचना आई और अंतिम यात्रा में शामिल भाजपा नेता और भोपाल से आए लोग पूरे समय यही चर्चा करते रहे थे। लेकिन इसके बाद यह फैसला क्यों टल गया, किसी को पता नहीं। कुछ समय बाद मोहन यादव ने भी एक बार स्वीकार किया था कि कुछ था तो सही लेकिन हम तो संगठन के कार्यकर्ता हैं। संगठन जो भूमिका तय करे, हमें तो सिर्फ अपना 100 फीसदी देना होता है। संगठन के प्रति उनका यही रवैया काम आया। उज्जैन को लगभग 52 साल बाद यह गौरव मिला कि यहां से मुख्यमंत्री बनेंगे। राजनीति के जानकार बताते हैं कि उज्जैन के रहने वाले प्रकाशचंद्र सेठी 1972 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अब राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि यह तो तय था कि भाजपा मध्यप्रदेश में ओबीसी से ही मुख्यमंत्री तलाश रही थी लेकिन जो लोग प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के पुराने फैसलों की समीक्षा करते हैं।