कालिदास समारोह का आयोजन नहीं, परंपरा निभाई
अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन इस बार आचार संहिता के कारण नहीं हो पा रहा है। लिहाजा गुरुवार को समारोह की परंपरा निभाने के लिए गढ़कालिका माता मंदिर में पूजा अर्चन कर वागार्चन किया गया। बाद में महाकवि कालिदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर विद्वत संगोष्ठी का आयोजन हुआ। हालांकि, संगोष्ठी में विद्वत जनों की उपस्थिति कम ही रही।
प्रति वर्ष देव प्रबोधिनी एकादशी पर सप्त दिवसीय अ.भा. कालिदास समारोह का आयोजन शासन के संस्कृति विभाग, स्थानीय प्रशासन, संस्कृ त कालिदास अकादमी, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है। इस बार आचार संहिता लागू होने से समारोह आयोजन की अनुमति चुनाव आयोग से देरी से मिली। लिहाजा समय कम होने के कारण समारोह का आयोजन संभव नही था। परंपरा निभाने के लिए गुरूवार को कालिदास स्मरण प्रसंग का आयोजन करते हुए सबसे पहले सुबह महाकवि कालिदास की आराध्य देवी मां गढ़ कालिका पर पूजन अर्चन कर वागर्चन व श्यामला दंडकम का सस्वर पाठ किया गया।
महाकवि की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण
मां गढ़ कालिका से आराधना के बाद विद्वतजनों ने कालिदास अकादमी परिसर में स्थित महाकवि कालिदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस दौरान पूर्व कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सीजी मेनन, विक्रम विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, अकादमी के निदेशक गोविंद गंधे, योगेश्वरी फिरोजिया, पियूष त्रिपाठी उपस्थित थे