लगातार तीसरी बार होगा, जब आचार संहिता के कारण अभा कालिदास समारोह देव प्रबोधिनी एकादशी पर नहीं हो सकेगा
उज्जैन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण इस वर्ष परंपरानुसार देव प्रबोधिनी एकादशी पर अखिल भारतीय कालिदास समारोह नहीं होगा। परंपरा निभाने के नाम पर देव प्रबोधिनी एकादशी पर 23 नवंबर को केवल औपचारिक कार्यक्रम किए जाएंगे। अब समारोह बसंत पंचमी ( 14 फरवरी 2024 ) पर होगा, जिसकी केवल औपचारिक घोषणा होना बाकी है। ऐसा लगातार तीसरी बार होगा, जब आचार संहिता के कारण अभा कालिदास समारोह देव प्रबोधिनी एकादशी पर नहीं हो सकेगा। 9 वर्ष पहले भी इसी तरह आचार संहिता के कारण अभा कालिदास समारोह नहीं हो सका था। तब देव प्रबोधिनी एकादशी पर समारोह शुरू करने की परंपरा को बनाए रखने के लिए कलाकारों ने मिलकर एक अलग समारोह किया था। आचार संहिता के चलते इस बार अभा कालिदास समारोह को लेकर संस्कृति विभाग ने कोई तैयारी नहीं की। समारोह करने के लिए निर्वाचन आयोग से अनापत्ति भी 17 नवंबर को मिली लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। मंगलवार को कालिदास अकादमी के निदेशक डॉ. गोविंद गंधे ने भोपाल पहुंच कर विभागीय मुख्यालय के अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की। डॉ. गंधे ने विभाग के संयुक्त संचालक त्रिपाठी से भेंट कर उन्हें देव प्रबोधिनी एकादशी पर समारोह शुरू करने में आने वाली व्यवहारिक कठिनाईयों की जानकारी दी। साथ ही देव प्रबोधिनी एकादशी पर समारोह को स्थगित करते हुए आगामी तिथियों में समारोह करने के लिए प्रस्ताव दिया। उन्हें यह भी बताया कि पूर्व में कब-कब समारोह स्थगित हुआ और बाद में किन तिथियों में आयोजित हुआ। इसके पहले वर्ष भी दो बार चुनावी आचार संहिता के कारण समारोह स्थगित महाकवि कालिदास स्मृति समारोह समिति उज्जयिनी विक्रम संवत् २०७१ सन् २०१४ अध्यक्ष पं. आनन्दशङ्कर व्यास 'देवप्रबोधनी एकादशी-3 नवम्बर हुआ था, जो बाद में बसंत पंचमी कालिदास समाज पर हुआ। इस बार भी वही समीकरण बन रहे हैं। अब केवल बसंत पंचमी पर समारोह आयोजित 2014 में प्रबुद्धजीवियों और स्थानीय कलाकारों ने करने की औपचारिक घोषणा होना पंरपरा बनाए रखने के लिए अलग समारोह किया बाकी है। था। उस समय यह प्रतीक चिन्ह वितरित किए थे। 2014 में इस्कॉन में अलग से हुआ था समारोह वर्ष 2014 में भी 3 नवंबर से 56वें अभा कालिदास समारोह की शुरुआत होना थी लेकिन समय पर समितियों का गठन नहीं होने के बाद आचार संहिता का हवाला देते हुए संस्कृति विभाग ने समारोह को स्थगित कर बसंत पंचमी (24 जनवरी 2015 ) पर करने का निर्णय लिया था। उस समय देवप्रबोधिनी एकादशी पर कालिदास समारोह के शुरू होने की परंपरा को बनाए रखने के लिए प्रबुद्धजीवी वर्ग और स्थानीय कलाकार आगे आए थे। ज्योतिषाचार्य पं. आनंदशंकर व्यास के संयोजन में महाकवि कालिदास स्मृति समारोह समिति उज्जयिनी का गठन किया। इस समिति ने 3 नवंबर 2014 को भरतपुरी स्थित इस्कॉन मंदिर के ऑडिटोरियम में अलग से कालिदास स्मृति समारोह आयोजित किया था। जिसमें महाकवि कालिदास के साहित्य पर आधारित नाट्य प्रस्तुति, वाद-विवाद प्रतियोगिता और कालिदास के साहित्य पर विद्वानों के भाषण के कार्यक्रम रखे गए थे। कल सुबह गढ़कालिका मंदिर में वागार्चन इधर देव प्रबोधिनी एकादशी पर अभा कालिदास समारोह तो शुरू नहीं होगा लेकिन कालिदास अकादमी प्रबंधन द्वारा औपचारिक रूप से कुछ कार्यक्रम किए जाएंगे। कालिदास अकादमी के निदेशक डॉ. गोविंद गंधे ने बताया 23 नवंबर की सुबह 9 बजे के लिए गढ़कालिका मंदिर में वागार्चन होगा। इसके बाद सुबह महाकवि कालिदास की आराध्य देवी मां गढ़कालिका की स्तुति 11 बजे अकादमी परिसर स्थित महाकवि कालिदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण के अलावा ग्रंथ पूजन किया जाएगा। दोपहर 12 बजे से अभिरंग नाट्यगृह में स्थानीय विद्वानों के साथ परिचर्चा होगी और कालिदास गान करवाया जाएगा।