कार्तिक मेले आयोजन की चुनाव आयोग से हरी झंडी
उज्जैन नगर निगम द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले कार्तिक मेला के आयोजन को लेकर चुनाव आयोग से हरी झंडी मिलने के बाद अब मेला लगाने की तैयारी तेज हो गई है। इस बार पूर्णिमा की बजाए दिसंबर के पहले सप्ताह से मेला आयोजित होगा। मेले की विभिन्न व्यवस्था के लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
नगर निगम द्वारा शिप्रा तट पर आयोजित होने वाले कार्तिक मेला का आयोजन इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर 27 नवम्बर से प्रारंभ होना था, लेकिन इस बार विधानसभा के लिए आचार संहिता के चलते मेला आयोजन की अनुमति चुनाव आयोग से मांगी थी। आयोग से सोमवार को अनुमति मिलने के बाद नगर निगम ने तैयारी शुरू कर दी है। नगर निगम कार्यालय में मंगलवार को सभी तरह के टेंडर संबंधी फाइल तैयार कर टेंडर कॉल किए गए है। वहीं कार्तिक मेले के विभिन्न आयोजन के लिए अधिकारियों की समिति बनाई है। एक सप्ताह का टेंडर जारी किया है जिसकी अवधि 28 नवंबर तक तय की है। माना जा रहा है कि मेला का आयोजन दिसंबर के पहले सप्ताह से शुरू हो पाएगा। कार्तिक मेला एक महीने की अवधि का लगता है। इसमें दुकानों के आवंटन से लेकर अन्य व्यवस्था जैसे पेयजल, प्रकाश, झूले की जमीन का आवंटन, विभिन्न प्रकार की सामग्री की दुकानों का आवंटन जैसी प्रक्रिया तेजी से की जाएगी।
559 दुकानें, 37 छोटे-बड़े झूले लगेंगे
शिप्रा तट पर आयोजित होने वाले मेला का क्षेत्रफल करीब पांच हेक्टेयर होता है। नगर निगम द्वारा मेला क्षेत्र की करीब 559 विभिन्न दुकानों का आवंटन करता हैद्ध वहीं मेला क्षेत्र में 22 बड़े आकार के झूले और 15 छोटे झूले लगेंगे। इसके अलावा कार्तिक मेला मंच के समीप मैदान में प्रदर्शनी भी आयोजित की जाती है। मेले की अवधि एक महिना होती है। हालांकि इस बार ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को निराशा होगी। कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा से मेला आयोजित होता है तो ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोग पहले ही दिन शिप्रा स्नान करने के बाद मेला से खरीदी कर अपने गतंव्य की ओर रवाना होते थे, इस बार पूर्णिमा के बाद मेला आयोजित होने से ग्रामीण लोगों की भीड़ दिखाई नही देगी।
ऑन लाइन प्रक्रिया से व्यापारी नाराज
नगर निगम प्रशासन ने पिछले वर्ष से कार्तिक मेला की दुकान और झूलों की जमीनों का आवंटन की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी। इसके कारण व्यवसायिक मानसिकता वाले लोगों ने ऊंचे भाव पर टेण्डर डाले। इस कारण पिछले साल झूला व्यवसायियों को 60 से 70 हजार रूपये में ऑफलाइन मिलने वाला ब्लाक 2 से 3 लाख रूपये में मिला था। इस कारण झूला के टिकट के दाम भी बढ़ाना पड़े थे। मेले में आले वाले व्यवसायियों ने दुकाने व जमीन आवंटन का ऑनलाइन प्रक्रिया का विरोध करते हुए पहले की तरह ऑफलाइन पद्धति से दुकान और झूले की जमीन आबंटन की मांग की है। हालांकि इस मामले में नगर निगम ने फिलहाल कोई निर्णय नही लिया है।