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विकास के नाम पर लिए वोट की हकीकत कुछ और


उज्जैन शहर में 7 लाख से अधिक जनसंख्या है और यहां के 54 वार्डों में पानी की सप्लाय टंकी से पीएचई करती है। जिसके लिए नई टंकियां बनने के बाद यह संख्या अब 40 से ज्यादा हो गई है। लेकिन शहर में आगर रोड, देवास रोड और इंदौर रोड की 100 से अधिक कॉलोनियों में लाईन नहीं डलने से लोग बोरिंग और हेण्डपंप का पानी पी रहे हैं। टीडीएस अधिक होने से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। इन कॉलोनियों में करीब 50 हजार परिवार रहते हैं। अमृत मिशन योजना की पूरी राशि नहीं मिलने से पीएचई की घर-घर पानी पहुंचाने की योजना अधर में लटकी हुई है। केवल प्लानिंग, काम नहीं
अधिकारियों के अनुसार शहर के 54 वार्डों में पीएचई की लाइन डालने की योजना है। अमृत मिशन प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों की राशि भी मंजूर हुई है, लेकिन पर्याप्त राशि जारी नहीं होने के कारण अभी केवल तीन वार्डों में ही लाइन डालने का काम हो पाया है। बाकी वार्डों में काम शेष है। अधिकारी हुल जलूल निर्णय लेते हैं।उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन की जनता ने इस बार जमकर मतदान किया है, लेकिन उनके हक का पानी भी उन्हें नसीब नहीं हो पा रहा है। जनप्रतिनिधियों ने बड़े-बड़े वादे कर मतदाताओं से वोट के लिए विकास के
वोट ले लिए, लेकिन अब भी शहर की 100 से अधिक कॉलोनियां ऐसी हैं, जो पानी के लिए तरस रही है। इस मामले में नगर निगम और पीएचई पीछे चल रहे हैं। 2020 से शुरू हुई नल जल योजना के माध्यम से उज्जैन जिले के सैकड़ों गांवों में पानी पहुंचाने का काम जून महीने तक किया जाना था, लेकिन कुछ गांवों में पानी पहुंचाने के बाद करीब
नई बसाहट में वर्षों बाद भी पीएचई की लाईन नहीं उज्जैन की 100 से अधिक कालोनियां आज भी प्यासी
100 गांवों को अधिकारियों के साथ- साथ जनप्रतिनिधि भी भूल गए। जून से लेकर अब तक भी न तो अधिकारियों ने सुध ली और न ही कोई नेता प्यास बुझाने आया। बुरहानपुर जैसे छोटे जिले ने उज्जैन को इस मामले में पीछे कर रखा दावे .... और हकीकत उल्टी है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जलजीवन योजना का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन कराने के लिए अब आम जनता को ही आगे आना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की है। इधर नगर निगम सीमा के अंतर्गत भी पेयजल व्यवस्था सालों से सुधर नहीं पाई है। एक दशक पहले बनी नई कॉलोनियों में पीएचई की जल प्रदाय लाइन नहीं डल पाई है। केवल टंकिया ही बनी

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