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6 वर्ष पहले बनाया था संभागीय हाट बाजार बनने के बाद से ही दुकानें नहीं बिकी


जनता की गाडी कमाई का पैसा कैसे उडाया जाता है ये आप इस बात से समझ सकते है की नीलगंगा क्षेत्र में हरिफाटक पुल के नीचे संभागीय हाट बाजार बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था और उसमें 5 करोड़ रुपए लगा दिए लेकिन आज इतने साल बाद भी इन दुकानों को कोई लेने को तैयार नहीं है जिससे कि नगर निगम को भारी नुकसान हो रहा है। बाहर से आए अधिकारी उज्जैन की भौगोलिक और अन्य परिस्थितियों से अनजान रहते हैं तथा कुछ समय रहकर ऐसे बेतुके कार्य कर जाते हैं जिसका परिणाम शहर को भुगतना पड़ता है। पुल के निचे लगता है हाट बाजार ये बाजार तो बस नाम का है  उजैन हाट इस तरह करोड़ों रुपए बर्बाद कर यह परिसर बना दिया जहाँ कोई व्यवसाय नहीं हो रहा है और सन्नाटा पड़ा रहता है। उज्जैन के लोगो को भी नहीं पता क्या होता है यहां ,हरिफाटक ब्रिज के समीप जिला पंचायत ने करीब 5 करोड़ रु. खर्च कर 6 साल पहले संभागीय हाट बाजार बनवाया था। यहाँ हस्तशिल्प और स्व- सहायता समूह के व्यापारियों को दुकानें दी जाने के साथ नए व्यापारियों के लिए भी दुकानें हैं। जिला पंचायत अनेक बार दुकानें नीलाम करने के लिए टेंडर निकाल चुका है लेकिन कोई भी दुकानें लेने को तैयार
नहीं है। ऐसे में यह हाट बाजार 6 सालों से सूना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि जिला पंचायत ने सिंहस्थ 2016 के पहले करीब 5 करोड़ रुपए खर्च कर नीलगंगा क्षेत्र में संभागीय हाट बाजार बनाया गया था। यहाँ दुकानों के साथ आकर्षक डेकोरेटिंग व्यवस्था और अन्य सुविधाएं की गई थी। इसके पीछे का उद्देश्य था कि हस्तशिल्प मेले, स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा बनाए गए सामान व स्थानीय कलाकृति के लिए एक बाजार उपलब्ध हो, जहाँ शहरवासी सहित बाहर से आने वाले यात्री भी खरीदारी कर सके। बीते 6 सालों में यह हाट सुचारु रूप से संचालित ही नहीं हो पाया है। तीन साल पहले जिला पंचायत ने बाजार में नियमित दुकानें खोलने के लिए यहाँ की 30 दुकानों को किराए पर देने के लिए टेंडर निकाले थे। स्थिति यह रही कि एक भी दुकान के लिए टेंडर नहीं आया। तब से लेकर अब तक संभागीय हाट बाजार सभी दुकानें खाली पड़ी है और यहाँ सन्नाटा पसरा रहता है। इस पर व्यापारियों का कहना है कि हाट एक तरफ बनाया गया है, जहाँ लोग खरीदारी करने नहीं आते है। लिहाजा हाट सिर्फ शो-पीस बनकर रह गया है और इक्का-दुक्का कार्यक्रम ही आयोजित होते रहे हैं। इसकी सही मार्कटिंग न होना भी एक कारन है क्योंकि लोगो को पता ही नहीं की यहाँ है क्या ,,अफसोस यह है कि संभागीय हाट का फिलहाल नियमित उपयोग नहीं हो पा रहा है। यहां वर्षभर में एक दो कार्यक्रम ही आयोजित होते हैं। इसमें विशेषकर नवरात्रि या अन्य कोई पर्व के समय मेला लगाकर दुकानें लगाई जाती हैं, वहीं शासन की ओर से रोजगार मेले, मतदान अभियान के लिए शिविर जैसे कार्यक्रम ही आयोजित हो रहे हैं। बाकि समय यह स्थान सूना रहता है। इसका सही उपयोग होना शायद मुश्किल लगता है कभी कभार कुछ दुकान में लोग आते है और चले जाते है 

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