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चांदी की पालकी में विराजमान होकर प्रजा का हाल जानने निकलेंगे श्री महाकालेश्वर


कार्तिक-अगहन माह में निकाली जाने वाली महाकालेश्वर की सवारी के क्रम में पहली सवारी 20 नवंबर को निकाली जाएगी। चांदी की पालकी में विराजमान होकर महाकाल प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे।

मंदिर के सभामंडप में शाम 4 बजे विधिवत पूजन-अर्चन के बाद महाकाल के स्वरूप को पालकी में विराजमान किया जाएगा। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान महाकालेश्वर के स्वरूप को सलामी दी जाएगी। इसके अलावा पुलिस बैंड पर भजन गूंजेंगे। सवारी मंदिर से शाम 4 बजे पूजन के बाद महाकाल घाटी, गुदरी चौराहा, बक्षीबाजार चौराहा, कहारवाड़ी, हरसिद्धी पाल से शिप्रा तट पर पहुंचेगी। घाट पर पूजन-अर्चन के बाद सवारी रामानुजकोट, बंबई वाले की धर्मशाला, गणगौर दरवाजा, खाती समाज का जगदीश मंदिर, श्री सत्यनारायण मंदिर, कमरी मार्ग, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाज़ार, गुदरी चौराहा, कोट मोहल्ला, महाकाल चौराहा होते हुए मंदिर परिसर पहुंचेगी। हरिहर मिलन की सवारी 25 नवंबर को निकाली जाएगी।

इस दौरान मंदिर परिसर में आतिशबाजी की जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु चातुर्मास के दौरान देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक शिव को संपूर्ण जगत की राजसत्ता सौंपकर क्षीरसागर में विश्राम करने जाते हैं। बैकुंठ चतुर्दशी पर यह सत्ता फिर शिवजी भगवान विष्णु को सौंपते हैं। इसे हरिहर मिलन कहा जाता है। इस दिन आतिशबाजी की जाएगी।

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