शिप्रा में पैर फिसलने से दो बच्चियां डूब जाती, जिम्मेदार दो साल से रेलिंग नहीं लगवा पा रहे
शिप्रा नदी के घाटों पर हादसे आम बात हो गई है क्योंकि नगर निगम व स्मार्ट सिटी के अधिकारी दो साल से टेंडर जारी करने के बावजूद शिप्रा नदी के घाटों पर एक जैसे प्लेटफार्म व रेलिंग नहीं लगवा पा रहे है। यही वजह है कि रविवार को फिर बच्चियां शिप्रा नदी में डूब जाती है। पैदल भ्रमण पर निकले होमगार्ड जवान ने देखा तो वर्दी समेत नदी में कूद गया व बच्चियों की जान बचाई।
आठ साल की राधिका पिता कुंदन यहीं की रहने वाली है व 11 वर्षीय भाई के साथ नदी में नहाने के दौरान गहरे पानी में चली गई। उसे डूबते देख भाई ने शोर मचाया तो होमगार्ड जवान बनेसिंह नदी में कूदा व बच्ची को सुरक्षित बाहर निकाला। बहन की जान बचने पर बालक ने जवान के हाथ जोड़े व बहन को सुरक्षित घर लेकर रवाना हुआ। दूसरी घटना भी रामघाट के समीप घाट पर हुई। यहां सूरत निवासी 14 वर्षीय बालिका सृष्टि पिता जिनेश काई की वजह से पैर फिसलने पर गहरे पानी में चली गई व डूबने लगी, जिसे जवानों ने नदी में कूदकर बाहर निकाला। 16 नवंबर को भी एक वृद्ध रामघाट पर डूब रहा था, जिसे तैराकों व एसडीआरएफ के जवानों ने बचाया व अस्पताल भिजवाया था। बता दें कि शिप्रा नदी पर एक जैसे प्लेटफार्म व रेलिंग समेत अन्य सुरक्षा इंतजामों के लिए 13.30 करोड़ की राशि का प्लान तैयार कर टैंडर भी दो बार जारी हो चुके है लेकिन अभी तक प्रशासन काम नहीं करवा पा रहा है। नन्ही बहन की जान बचने पर होमगार्ड जवान के हाथ जोड़ता बालक।