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नहाय-खाय के साथ पर्व की शुरुआत, पीतल के बर्तन में लाए कुएं का पानी, उसी से आज बनाएंगे पकवान उज्जैन5 घंटे पहले


छठ पर्व की शुरुआत शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ हो गई है। व्रत करने वालों ने पीली धोती धारण कर कुएं पर स्नान किया। पीतल के बर्तन में कुएं का पानी घर लेकर आए। उसी से शनिवार को पकवान बनाए जाएंगे। बिहार, उप्र का प्रमुख छठ पर्व चार दिन तक मनाया जाएगा।

धनंजय कुमार पटना ने बताया कि नहाय-खाय का दूसरा शब्द है खाय इस दिन नहाने के बाद एक विशेष भोजन बनाया जाता है और खाया जाता है। इस दिन जो महिलाएं व्रत करती हैं। वे चने की दाल और लौकी की सब्जी देसी घी में बनाती हैं। उसका सेवन करती हैं। इस दिन का खाना सेंधा नमक में बनाया जाता है। पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत पूरा किया जाएगा।

चार दिन चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठ मैय्या की पूजा की जाती है। इस दिन रखा जाने वाला व्रत कठिन माना जाता है। इस व्रत का 36 घंटे तक नियमों का पालन कर किया जाता है। जिसका समापन 20 नवंबर को होगा। यह पर्व मूल रूप से बिहार व उत्तरप्रदेश के लोगों का माना जाता है। इसे देशभर में मनाया जाता है। रविवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। सभी शिप्रा तट, सरोवर किनारे एकत्र होकर पूजा करते हैं। पूजा में फलों को प्राथमिकता दी जाती है। यही कारण है कि इसे प्राकृतिक त्योहार भी कहा जाता है। छठ पर्व के चौथे आैर आखिर दिन सुबह यानी उगते सूर्य को व्रती घाटों या तालाब किनारे उदीयमान सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य देकर महाव्रत का समापन करेंगे। इसके साथ ही 36 घंटे से चला आ रहा निर्जला उपवास भी पूर्ण होगा।

अनाज को घर में पीसकर शुद्ध घी में बनाएंगे पकवान छठ पर्व के तहत शनिवार को खरना का आयोजन किया जाएगा। इस दिन अन्न को घर में कूटकर, पीसकर शुद्ध घी में पकवान बनाए जाएंगे। खास यह है कि इसमें बनाए जाने वाले पकवान में शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है। सुबह गेहूं को धोकर छत पर सुखाया जाता है, उसी से पकवान बनाए जाते हैं। उसे प्रसाद के रूप में पड़ोसियों को भी दिया जाएगा।

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