प्री-मैच्योर बच्चों की देखरेख के लिए माताएं सीख रही कंगारू मदर केयर
उज्जैन | गर्भावस्था के दौरान जागरूकता न होने के कारण प्री-मैच्योर डिलीवरी के केस बढ़ जाते हैं। प्री-मैच्योर यानी समय से पूर्व जब बच्चे जन्म ले लेते हैं तो उन्हें कई तरह की समस्याएं हो सकती है। इनका वजन काफी कम रहता है। शरीर से कमजोर होने के कारण बीमारियां भी इन्हें जल्दी घेर लेती है।
ऐसे बच्चों की देखरेख के लिए विशेष ध्यान देना पड़ता है। वर्ल्ड प्री-मैच्योरिटी डे के चलते कुछ माताओं ने बताया उन्होंने किस तरह अपने प्री-मैच्योर बच्चों को संभाला है। मालीपुरा की सावित्री कुमावत ने बताया उनकी बेटी हुई थी तो बस एक किलो की थी, उसे अस्पताल में भर्ती किया गया और वहां बेटी की देखरेख के साथ मेरी भी काउंसलिंग की गई। वहां मैंने सीखा कि कैसे बच्ची को दूध देना है और मुझे कैसा आहर लेना है। मैंने कंगारू मदर केयर का भी सहारा लिया। यास्मीन खान ने बताया कि मैंने कंगारू मदर केयर की साथ ही खुद के खाने में भी ध्यान रखा। संक्रमण से बचाने के लिए अपने बच्चे को बंद कमरे में रखा। चरक के एसएनसीयू में आसपास के जिलों से भी कई प्री-मैच्योर बच्चों को इलाज करवाने के लिए भर्ती किया जाता है।
माताओें की काउंसलिंग की जाती है कि उन्हें कैसे बच्चों की देखभाल करनी है, उन्हें ब्रेस्ट फीडिंग करवाना चाहिए। साथ ही कंगारू मदर केयर भी यहां िसखाई जाती है, इसमें मां अपने बच्चे को 24 में से कम से कम 18 घंटे अपने सीने से चिपकाकर रखती है, ताकि बच्चे को मां के गर्भ की तरह गर्मी मिल सकें। यह प्रकिया एक बैठक में दो घंटे करनी रहती है, ताकि बच्चों के बाहरी संक्रमण से बचाया जा सके और उसका विकास जल्दी हो सके।
प्री-मैच्योर बच्चों को संभालने के लिए ली जाती है काउंसलिंग