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उज्जैन में कालिदास समारोह, कार्तिक मेला और हस्तशिल्प मेला लगना अब मुश्किल


उज्जैन। तय तिथि पर अखिल भारतीय कालिदास समारोह होना, नगर निगम का कार्तिक मेला और जिला पंचायत का हस्तशिल्प मेला लगना इस वर्ष मुश्किल प्रतीत हो रहा है। वजह, विधानसभा चुनाव है, जिसके कारण निर्वाचन आयोग ने अब तक इन कार्यक्रमों की अनुमति जारी नहीं की है। इससे परंपरा तो टूट ही रही, समारोह एवं मेले में प्रस्तुति देने वाले विद्वानों, कलाकारों एवं दुकान लगाने वाले व्यापारियों की कुछ कर गुजरने की उम्मीद भी टूट रही है।

मालूम हो कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह, उज्जैन में प्रतिवर्ष देव प्रबोधिनि एकादशी तिथि से शुरू होने वाला सात दिवसीय लोक संस्कृतिक एवं साहित्यिक उत्सव है, जिसमें महाकवि कालिदास की रचनाओं पर आधारित संस्कृत एवं हिंदी नाटकों का मंचन कराने, परिचर्चा, संगोष्ठी, व्याख्यानमाला, चित्र एवं मूर्तिकला प्रतियोगिता कराने और उत्कृष्ट कार्य करने वाले कलाकारों को राष्ट्रीय कालिदास पुरस्कार प्रदान करने की परंपरा रही है।

ज्जैन में कालिदास समारोह, कार्तिक मेला और हस्तशिल्प मेला लगना अब मुश्किल
देव प्रबोधिनि एकादशी तिथि को महाकवि कालिदास की जन्म तिथि माना गया है। इस बार ये तिथि, 23 नवंबर 2023 को है। यानी ठीक सात दिन बाद। समारोह का मुख्य दारोमदार मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग के अधिन कालिदास संस्कृत अकादमी पास है।

अकादमी के निदेशक गोविंद गंधे का कहना है कि शासन से समारोह के लिए आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं। इसलिए समारोह होगा या नहीं, ये कहना अभी मुश्किल है। इधर, नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह ने कार्तिक मेला लगाने और जिला पंचायत सीईओ मृणाल मीना ने हस्तशिल्प मेला लगाने के संबंध में कहा है कि निर्वाचन आयोग से अनुमति मांगी थी पर अब तक नहीं मिली है।

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