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कार्तिक मास में शिप्रा स्नान से मिलता है अक्षय पुण्य


उज्जैन | कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कार्तिक शुक्ल अष्टमी को पांडवों ने स्नान किया और कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तक गंगा किनारे यज्ञ किया था। उज्जैन की मोक्षदायिनी शिप्रा नदी सभी नदियों से अपना महत्व अधिक रखती है।
उज्जैन के पंडित गोपाल व्यास ने बताया कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर गंगाघाट शिप्रा घाट पर पवित्र स्नान करते हैं। कार्तिक मास के दौरान तुलसी जी की पूजा विधिवत की जाती है। भगवान विष्णु को तुलसी जी प्रिय है।
इस कारण कार्तिक मास में शालीग्राम के रूप में भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह भी किया जाता है। माना जाता है कि महाकाल की नगरी उज्जैन की परिक्रमा कर लें तो 33 कोटि देवताओं तथा स्नान नहीं कर पाए तो अंतिम पांच दिन स्नान कर पुण्य प्राप्त सकते हैं। इस मास में स्नान-ध्यान के अतिरिक्त अन्न, धन, कंबल आदि जरूरत की वस्तुएं दान की जाती है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। उज्जैन आवागमन के साथ पर्याप्त होने से बाहरी लोग तादाद में आकर शिप्रा स्नान करते हैं। प्रशासन भी विभिन्न अवसरों पर शिप्रा सफाई सुरक्षा की व्यवस्था करता है ।

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