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ग्रहण के सूतककाल में मंदिरों के पट बंद हुए


शरद पूर्णिमा पर शनिवार-रविवार की दरमियानी रात को साल का अंतिम चंद्रग्रहण होने के पहले ग्रहण का वैधकाल (सूतक) शाम 4 बजकर 5 मिनिट से प्रारंभ हो गया है। वैधकाल के दौरान जहां महाकाल मंदिर में बाहर से दर्शन की व्यवस्था चलेगी। वहीं गोपाल मंदिर में वैधकाल लगने के बाद भगवान के पट बंद किए गए। सांदिपनि आश्रम, मंगलनाथ में भी बाहर से दर्शन हुए। रविवार को अलसुबह मंदिर के पट खोलकर शुद्धिकरण के बाद भगवान का अभिषेक पूजन किया जाएगा।

पूर्णिमा पर लगने वाला चंद्रग्रहण शनिवार-रविवार की रात्रि में 1 बजकर 5 मिनिट पर होगा। ग्रहण की मध्य की स्थिति रात्रि में 1 बजकर 44 मिनिट तक रहेगी। ग्रहण का मोक्ष रात्रि में 2:24 पर होगा। चंद्रग्रहण की कुल अवधि 1 घंटा 19 मिनट रहेगी। चंद्र ग्रहण का सूतक या वैधकाल स्पर्श के 9 घंटे पहले यानि शनिवार को दोपहर 4 बजकर 5 मिनट से प्रारंभ हुआ है। सूतक प्रारंभ होने के बाद किसी प्रकार का मांगलिक कार्य, स्नान, हवन और भगवान की मूर्ति का स्पर्श नहीं किया जाता है। वहीं भोजन बनाना व भोजन करना भी उचित नही है। हालांकि, सूतक काल में गर्भवती स्त्री, बच्चे, वृद्धजन भोजन कर सकते है। सूतक काल आरंभ होने से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते अथवा डाल कुश डालना चाहिए। ग्रहण मोक्ष होने के बाद स्नान, दान, पुण्य, पूजा उपासना इत्यादि का महत्व है।

महाकाल मंदिर में बाहर से दर्शन चालू रहे-

ग्रहण का वैधकाल प्रारंभ होने के बाद शनिवार शाम से महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भगवान को जल चढ़ाना या स्पर्श करना वर्जित रहेगा। ग्रहण काल के वैधकाल में गर्भगृह के पट खुले है। भक्तों को बाहर से दर्शन कराए जा रहे है। रात्रि में ग्रहण मोक्ष के बाद मंदिर को रात्रि में ही धोकर शुद्ध किया जाएगा। इसके बाद पुजारी पूजन व आरती करेंगे।

सांदीपनि सहित कई मंदिरों के पट बंद हुए

श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम के पुजारी रूपम व्यास ने बताया कि चंद्रग्रहण का सूतक वैधकाल शनिवार को प्रारंभ होने पर शाम 4:30 बजे से मंदिर के पट बंद किए गए। रात में ग्रहण समाप्ति के बाद अगले दिन रविवार को सुबह पट खुलेंगे। मंदिर के शुद्धिकरण के बाद अभिषेक-पूजन आरती होगी। इसके बाद से ही भक्तों को दर्शन शुरू हो जाएंगे।

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