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अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर इस पर 18 साल बाद चंद्र ग्रहण


अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर इस पर 18 साल बाद चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है। पूर्व में यह योग 2005 में बना था। यह ग्रहण खंडग्रास चंद्र ग्रहण की श्रेणी में रहेगा। 28 अक्टूबर की रात अर्थात 28 व 29 अक्टूबर को भारत में खंड ग्रास के रूप में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र पर रहेगा।

हालांकि इसी नक्षत्र पर राहु गुरु के प्रभाव अलग प्रकार से अपना प्रभाव दिखाएंगे। मेष राशि दक्षिण दिशा को कारकत्व प्रदान करती हैं। इस दृष्टि से दक्षिण दिशा विशेष रूप से प्रभावित रहेगी। वहीं गुरु पूर्व दिशा का कारक है, दक्षिण पूर्व दिशा के राष्ट्र व राज्यों में इसके प्रभाव दिखाई देंगे।

पं. अमर त्रिवेदी डब्बावाला के मुताबिक पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण की शुरुआत रात्रि में 1.05 बजे से होगी। मध्य रात 1.44 बजे व मोक्ष रात में 2.24 बजे पर होगा। इसकी कुल अवधि 1 घंटा 19 मिनट रहेगी। ग्रहण का सूतक या वेध काल स्पर्श के 9 घंटे पहले यानी 28 अक्टूबर की दोपहर 4.05 से शुरू हो जाएगा। वेध काल में भोजन, शयन, सांसारिक सुख की क्रियाएं आदि त्याग देने की मान्यता है।

इसमें बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिला व रोगी को अन्न-पानी की शास्त्रों ने छूट दी है। वे विशेष ​परिस्थिति में कुछ खा-पी सकते हैं। पं. डब्बावाला के मुताबिक चंद्र को अनुकूल ऊर्जा प्रदान करने के लिए चंद्रोदय के दौरान 29 अक्टूबर की शाम मिट्टी के पात्र या रजत कलश में शुद्ध पानी, कच्चा दूध, अबीर, सफेद सुगंधित पुष्प से ऊं सोम सोमाय नम: के जाप द्वारा 11 बार अर्घ्य दें।

मौसम साफ रहा तो 1.04 मिनट पर चंद्रमा काे धीरे-धीरे ढंकता दिखेगा : शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया भारतीय समय के अनुसार आंशिक चंद्रग्रहण का प्रारंभ 28-29 अक्टूबर की दरमियानी रात 1 बजकर 4 मिनट 8 सेकंड बजे से होगा। मध्य की स्थिति रात 1 बजकर 44 मिनट 1 सेकंड बजे होगी। इस समय चंद्रमा का 12.6 प्रतिशत भाग पृथ्वी की छाया से ढंका हुआ दृष्टिगोचर होगा। मोक्ष की स्थिति मध्य रात्रि 2 बजकर 23 मिनट 5 सेकंड बजे होगी।

 

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