उज्जैन में रावण का मंदिर, पूजन करने पहुंचे ग्रामीण
मध्य प्रदेश के चिकली गाँव, जो उज्जैन से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, वहां रावण का मंदिर स्थित है जहां दशहरे के दिन रावण की पूजा और उससे वरदान मांगा जाता है। हालांकि पुरे देश में ये अनोखा मंदिर माना जाता है गावं के लोगो कहना है की
इस परंपरा की विशेषता यह है कि इस मंदिर के पास चैत्र में नवमी और दशहरे पर मेला भी लगता है।
गाँव के लोगों का मानना है कि यह परंपरा सदियों पुरानी है और किसी को इसके बारे में विस्तार से जानकारी नहीं है।
दशहरे के दिन गाँव के लोग रावण की पूजा करते हैं और इसे उनकी पूर्वजों की परंपरा के रूप में निभाने का संकल्प लेते हैं।
इस मंदिर में आने वाले भक्तों में से कई लोग अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं और उनकी मान्यता के अनुसार उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसी कारण से यहां के मंदिर को उज्जैन के अलावा गुजरात और राजस्थान के लोग भी दर्शन के लिए आते हैं।
गाँव के ही एक व्यक्ति पुरानी किवदंती के अनुसार बताया की एक बार ग्रामीण रावण की पूजा करना भूल गए थे इसके बाद गाँव में भीषण आग लग गयी और काफी नुकसान भी हुआ था। जिसके बाद हमेश दशहरा पर रावण की पूजा का विधान है। ग्रामीण बताते है की कई लोग अन्य गाँवों से अपनी अपनी मुराद लेकर भी रावण की पूजा के लिए आते है। चिकली गाँव में ग्रामीण दशहरा के पर्व पर शाम को रावण दहन भी होता है। इस बार सोयाबीन की फसल अछि होने पर भी गाँव में ख़ुशी का माहौल है
इस गावं की पुरानी परम्परा में आसपास के 25 गाँव के हजारो लोग आते है रावण दर्शन को ख़ास बात ये की रावण के पूजन में मुस्लिम व् अन्य समाज भी भागीदारी करता है और मान्यता है की रावण के मंदिर में जो भी भक्त अपनी मन्नत मांगता है उसकी हर मनोकामना पुरी होती है इसी के चलते रावण के इस मंदिर में न सिर्फ उज्जैन के बल्कि मध्य प्रदेश के पास में लगे गुजरात राजस्थान के लोग भी दर्शन के लिए पहुंचते है।