नई सरकार पर होगी महाकुंभ ‘सिंहस्थ’ कराने की जिम्मेदारी
मध्य प्रदेश में इस चुनावी समर के बाद नई सरकार किसी भी राजनीतिक दल की बने, उसकी प्राथमिकता वर्ष 2028 में धर्मनगरी उज्जैन में लगने वाले महाकुंभ सिंहस्थ को सुख-शांति से निर्विघ्न कराने की होगी। सबसे बड़ी चुनौती मोक्षदायिनी शिप्रा नदी का उद्धार करने की होगी। इस बात का समर्थन सिंहस्थ प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे दिवाकर नातू भी करते हैं। उन्होंने ‘नईदुनिया’ से कहा है कि क्षिप्रा नदी उज्जैनवालों के लिए जीवनदायिनी है।करोड़ों श्रद्धालु इसके जल में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं। इस नदी का जल 12 माह स्वच्छ- शुद्ध रहे, इसकी व्यवस्था होना ही चाहिए। मालूम हो कि देश का सबसे बड़ा ‘स्नान पर्व’ सिंहस्थ हर 12 वर्ष बाद उज्जैन में अमृत तुल्य मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के तट पर लगता है, जिसमें दुनियाभर के साधु-संत और श्रद्धालु शिप्रा में स्नान करने आते हैं। पिछली बार महाकुंभ वर्ष 2016 में लगा था, जिसमें आठ करोड़ लोग सम्मिलित हुए थे। इनकी व्यवस्थाओं पर सरकार ने 4500 करोड़ रुपये खर्च किए थे।