पालकी में उमा माता, नंदी पर निकले भगवान महेश
श्री महाकालेश्वर मंदिर से सोमवार शाम चार बजे उमा माता की सवारी निकली। शाही ठाठ बाट से निकली सवारी में उमा माता चांदी की पालकी में सवार थी। वहीं भगवान मनमहेश नंदी पर सवार होकर निकले। परंपरागत मार्ग से होकर सवारी शाम छह बजे शिप्रा तट पहुंची। यहां पुजारियों ने माता पार्वती का पूजन कर शिप्रा में जवारे विसर्जित किए। इसके बाद सवारी पुन: मंदिर पहुंची।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में परंपरा अनुसार उमा सांझी महोत्सव के समापन पर अश्विन शुक्ल द्वितीया पर साल में एक बार माता पार्वती की सवारी निकाली जाती है। सोमवार को शाम चार बजे सभामंडप में उमा माता का पूजन कर चांदी की पालकी में विराजित किया गया। वहीं डोल रथ गरूड़ पर माताजी की प्रतिमा तथा भगवान महेश को विराजित किया गया था। सभा मंडप से उमा माता की सवारी मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची । यहां पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने माता पार्वती को सलामी दी । इसके बाद पालकी कोट मोहल्ला, तोपखाना, दौलतगंज, नई सड़क, कंठाल, सतीगेट, गोपाल मंदिर, गुदरी, कार्तिक चौक होते हुए शिप्रा तट पहुंची। यहां पुजारियों द्वारा परंपरा अनुसार माता पार्वती की पूजा अर्चना की गई। पूजन पश्चात पुजारी ने जवारे शिप्रा में विसर्जित किए। यहां से सवारी पुन: मंदिर की ओर रवाना हुई। सवारी के साथ भजन मंडली के सदस्य, सशस्त्र पुलिस के जवान, घुड़सवार दल , पुलिस बैंड और मंदिर समिति के अधिकारी व कर्मचारी शामिल हुए। सवारी मार्ग पर जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पालकी में सवार माता पार्वती का पूजन किया।