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नई योजनाएं लागू होती रही पर मैन पॉवर नहीं बढ़ाया


संभाग के सबसे बड़े जिला अस्पताल में तीन साल में करीब तीन गुना तक मरीज बढ़ गए, बावजूद डॉक्टर्स व स्टाफ घटता गया। यानी मरीजों की तुलना में स्टाफ उपलब्ध नहीं होने से चिकित्सा सेवाओं पर असर पड़ रहा है।

बढ़ते मरीजों के बीच में संसाधन तो बढ़ा दिए गए, नई स्वास्थ्य योजनाएं भी लागू होती रही लेकिन मैन पॉवर नहीं बढ़ाया। डॉक्टर्स व स्टाफ के सेवानिवृत्त होने या ट्रांसफर होने से यह कमी बनी हुई है। अस्पताल में करीब 84 डॉक्टर्स के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 34 डॉक्टर्स ही उपलब्ध हैं। ऐसे ही हाल 120 बेड के माधवनगर अस्पताल के भी हैं।

यहां पदस्थ हड्डी रोग विशेषज्ञ को ड्यूटी पर नियमित नहीं आने के चलते अस्पताल प्रशासन ने केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में बंदियों के इलाज के लिए पदस्थ कर दिया है। इसके चलते आर्थोपेडिक विभाग की ऑपरेशन थियेटर का संचालन नहीं हो पा रहा है और मरीजों को मजबूर होकर जिला अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में जाना पड़ रहा है।

ऐसे बढ़ रहे मरीज... आंकड़ा 600 के पार

जिला अस्पताल में उज्जैन जिले के अलावा आसपास के जिले के मरीज भी रैफर होकर आते हैं। ओपीडी व आईपीडी में हर दिन करीब 500-600 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। तीन साल पहले तक यह आंकड़ा 180 से 200 के करीब ही था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से नई यूनिट बनाई जा रही है और मशीनरी भी खरीदकर भोपाल से उज्जैन भेजी जा रही है। मरीजों को मुफ्त इलाज दिए जाने के लिए नई स्वास्थ्य योजनाएं भी लागू की गई है लेकिन संभागीय अस्पताल के मान से यहां स्टाफ उपलब्ध नहीं है।

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