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उज्जैन जिले में महिलाओं के पास 49.46 प्रतिशत वोट की ताकत, इन्हें साध लिया तो जीत पक्की


राजनीति की दिशा और दशा तय करने में महिलाओं की भूमिका अहम रही है। इस विधानसभा चुनाव में भी 49.46 प्रतिशत वोट की ताकत महिलाओं के पास है। चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि प्रत्याशियों ने ‘महिला शक्ति’ को साध लिया तो जीत निश्चित है।बीते दो दशकों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत उज्जैन में लगातार बढ़ा है। साल 2018 के चुनाव में महिलाओं की मतदान में भागीदारी 74.35 प्रतिशत रही थीं। इसके पहले साल 2013 के चुनाव में 70.49 प्रतिशत, 2008 के चुनाव में 66.04 प्रतिशत और 2003 के चुनाव में 63.65 प्रतिशत थी।मालूम हो कि जिले की सात विधानसभा सीटों (नागदा-खाचरौद, महिदपुर, तराना, घटि्टया, उज्जैन-उत्तर, उज्जैन-दक्षिण और बड़नगर) पर अपना विधायक इस चुनाव में 15 लाख 36 हजार 756 मतदाता चुनेंगे। इन आंकड़ों में महिलाओं की संख्या 7 लाख 60189 है। ये संख्या पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान का अधिकार पाई 6 लाख 97581 से 78914 अधिक है।चौकाने वाली वाली बात ये है कि इस वर्ष युवा महिलाओं की संख्या घटी है। जिला निर्वाचन कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार पहली बार मतदान करने का अधिकार पाए 18 ,19 आय के 45240 नवमतदाताओं में युवा महिलाओं की संख्या सिर्फ 18492 है। ये संख्या पिछले चुनाव में 20295 थी।

भारतीय जनता पार्टी ने उज्जैन जिले की सात विधानसभा सीटों में से किसी एक पर भी कभी महिला को चुनाव प्रत्याशी नहीं बनाया। जबकि कांग्रेस कई बार अवसर दिया। भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार सन् 1956 में मध्यप्रदेश गठन होने के बाद बीते 67 वर्षों में 14 विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस ने आठ बार महिलाओं को चुनाव मैदान में उतार प्रत्याशी बनाया। इसमें चार बार वे जीती और चार बार हारी। सन् 1957 राजदन कुमार किशोरी उज्जैन उत्तर से जीती।

1967 में हंसा बेन पटेल उज्जन उत्तर से हारीं। 1993 और 2008 में कल्पना परुलेकर महिदपुर से जीती। 1998 में उज्जैन दक्षिण से प्रीति भार्गव जीती और 2003 के चुनाव में हारी। 2013 के चुनाव में कल्पना परुलेकर हारी।

इस बार के चुनाव में भी भाजपा या कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों की ओर से महिला उम्मीदवार उतारने की जाने की संभावना कम ही दिख रही है। जबकि भाजपा, महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए अभी कुछ दिन पहले लोकसभा और राज्य सभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल स्वीकृत कर चुकी है।

यह भी जानिये
- उज्जैन जिले में 110 वर्ष या इससे अधिक आयु की 10 महिला मतदाता हैं, जबकि पुरुष मतदाता सिर्फ एक ही है।

- महिला-पुरुष लिंगानुपात को लेकर आंकड़ों में सुधार हुआ है। उज्जैन का लिंग अनुपात (जेंडर रेशो) घट गया है। अब यहां 1000 पुरुषों पर 979 महिलाएं हैं। पिछले वर्ष 966 थीं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश का लिंग अनुपात 1000 पुरुषों पर 940 महिला हैं।

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