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2019 के बाद सर्वपितृ शनिश्चरी अमावस्या एक साथ


उज्जैन। इस बार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 14 अक्टुबर शनिवार के दिन आने से शनिश्चरी अमावस्या कहला रही है। वैसे अश्विन मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसके पहले वर्ष 2019 में इस तरह का योग बना था जब शनिवार के दिन सर्व पितृ अमावस्या आई थी। पितृ अमावस्या के दिन धार्मिक क्रियाओं का विशेष लाभ मिलता है। पित्रों के पूजन तथा शनि पूजन की मान्यता बताई जाती है। इस तरह का अगला योग अब वर्ष 2026 में बनेगा।

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि इस बार 14 अक्टुबर को सर्वपितृ शनिश्चरी अमावस्या पर गज छाया नाम का योग बन रहा है। ऐसा तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के साथ कन्या राशि हस्त नक्षत्र पर गोचर करता हो तो गज छाया नाम का योग बनता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस प्रकार के संयोग को विशिष्ट रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों को दिया गया श्राद्ध पितरों को तृप्त करता है। यही कारण है कि इस दिन पितरों को श्रद्धा अर्पण करना चाहिए।

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