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लाड़ली बहना किस पर लाड़ लुटाएंगी ?


कीर्ति राणा ,वरिष्ठ पत्रकार

वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर कांग्रेस भी सत्तारूढ़ दल को हर मोर्चे पर घेरने की कोशिश करती रही है।मंगलवार से आचार संहिता लगने के बाद कांग्रेस का पूर्ण आजादी के लाथ आक्रामक होना भी तय है।अधिकारी भी स्वतंत्र रूप से सोचने के लिए आजाद हो जाएंगे। आज की जो हकीकत है वो कम से कम कांग्रेस का तो बीपी बढ़ाने वाली है ही।प्रदेश स्तर पर वोटर लिस्ट की बात करें तो शिवराज सरकार की लाड़ली बहना स्कीम असरकारक दिखाई दे रही है।आम वोटर की मानसिकता यही रहती है कि जो दल जितना लुटाने की उदारता दिखाए उसे लूटते रहो और जब मतदान करने जाओ तो सारे वादे, सारे लाभ भुलाकर फिर से और अधिक लाभ की उम्मीद में मत का उपयोग करो।चतुर मतदाता चतुर इसलिए ही माना जाता है कि जाती हुई सरकार से जितना कुछ उसे लेना था ले चुका।वह भी नया भीड़ू, नया दाम वाली मानसिकता को अपना लेता है।वोटर लिस्ट में बढ़ी महिला मतदाता किस पर लाड़ लुटाएंगी यह वक्त बताएगा। 

भरोसा करना ही पड़ेगा क्यों कि ये आंकड़े प्रदेश भाजपा कार्यालय ने नहीं, प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुपम राजन के कार्यालय ने जारी किए हैं।नवंबर, 2018 के मुकाबले इस बार 31 लाख से ज्यादा महिला वोटर बढ़ी हैं, जबकि पुरुष वोटर सिर्फ 25 लाख बढ़े हैं। 2018 में 9.40 फीसदी महिला मतदाता थीं जो 2023 में बढ़ कर 12.86 फीसदी तक पहुंच गई हैं। यानी पिछले चुनाव के मुकाबले 3.36 फीसदी ज्यादा महिला वोटर्स बढ़ी हैं।चौंकाने वाली बात ये है कि अभी जिन सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं, वहां सबसे ज्यादा वोटर बढ़े हैं।महिला वोटर्स भी वहीं ज्यादा बढ़ी हैं, जहां कांग्रेस काबिज है। महिला वोटर्स बढ़ने वाली टॉप 20 सीटों में 11 कांग्रेस के कब्जे वाली हैं। 9 भाजपा और 1 निर्दलीय के पास है।
बीते 5 सालों में प्रदेश में 55.65 लाख वोटर बढ़े हैं। 2018 में 5 करोड़ 4 लाख वोटर थे, जो अब बढ़कर 5 करोड़ 60 लाख के पार हो गए हैं।215 विधानसभा सीटों पर महिला वोटर्स की संख्या बढ़ी है।मतलब साफ है लाड़ली बहना स्कीम के बाद महिलाओं ने वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने में दिलचस्पी दिखाई है।इंदौर में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 ही ऐसी सीट है जहां महिलाओं की संख्या घटी है। यहां पहले 1 लाख 22 हजार 206 महिला वोटर थीं जो अब घटकर 1 लाख 20 हजार 398 पर आ गई है।

नई वोटर लिस्ट में 1 हजार पुरुषों पर 945 महिलाएं हो गई हैं। 2011 में लिंगानुपात 1 हजार पुरुष पर 931 महिलाओं का है।आबादी के हिसाब से मतदाताओं का अनुपात 64.75 प्रतिशत है। 2018 में कुल 5.04 करोड़ वोटर्स में 2.41 करोड़ महिलाएं थीं। ये कुल महिला वोटर्स का 47.91 प्रतिशत था। 2023 में कुल 5.60 करोड़ वोटर्स में 2.72 करोड़ महिलाएं हैं। ये कुल महिला वोटर्स का 48.58 प्रतिशत है। इस लिहाज से देखें तो 0.79 फीसदी महिला वोटर्स बढ़ी हैं।
महिला वोटर्स बढ़ने में लाड़ली बहना स्कीम का कितना सहयोग रहा यह चिंता विभिन्न दल करेंगे किंतु स्कूल-कॉलेजों में चुनाव आयोग का कैंपेन, राजनीतिक दलों द्वारा महिलाओं को आगे लाने और बेहतर होता लिंगानुपात, बढ़ती जागरुकता-ये वो प्रमुख कारण हैं जिनसे 2018 के मुकाबले इस बार महिला वोटर्स की संख्या में वृद्धि हुई है।

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