विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 को
मोबाइल की लत से बच्चे व स्टूडेंट्स तथा युवा पैनिक अटैक का शिकार हो रहे हैं। हर माह ऐसे करीब 225 बच्चे बीमारी से ग्रसित और सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग करने से अनकंट्रोल होते जा रहे हैं। जिले में 10 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर भास्कर शहर के प्रमुख मनोरोग चिकित्सकों से इस बारे में जाना तो उन्होंने बताया कि तीन साल में मानसिक रोगी बढ़ गए हैं, जिनका इलाज सरकारी व प्राइवेट स्तर पर किया जा रहा है।
मोबाइल की बढ़ती लत और बढ़ते मरीजों के बीच में चिकित्सकों की ओर से बताए गए उपाय के तहत बच्चों और स्टूडेंट्स को सोशल मीडिया की बजाए न्यूज पेपर में अलग-अलग प्रकार की वेरिफाइड न्यूज पढ़ने को प्रोत्साहित करें तो एकाग्रता के साथ में पढ़ाई की क्षमता भी बढ़ेगी। मोबाइल फोन, इंटरनेट, सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोगों के जीवन के लिए खतरनाक होता जा रहा है। इसने लोगों के जीवन और समय को पूरी तरह से जकड़ रखा है।
वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. पराग ढोबले का कहना है कि वैज्ञानिक रिसर्च में यह पाया कि मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल हमारे मस्तिष्क के डोपामिन लेवल को इस प्रकार से बढ़ाता है, जैसे कोई नशीली चीज हो और फिर हम इसके बिना जीवन की परिकल्पना ही करना भूल जाते हैं। इसी समस्या से निजात पाने के लिए देश में डिजिटल डिटॉक्स का कॉन्सेप्ट अपनाया जा रहा है।
डिजिटल डिटॉक्स से मस्तिष्क के सोचने-समझने की क्षमता में सुधार होता है और साथ ही हम अपनी भावनाओं को सकारात्मक तरीके से कंट्रोल कर सकते हैं। माता-पिता स्वयं और अपने बच्चों को सोशल मीडिया पर न्यूज पढ़ने से अच्छा न्यूज पेपर में अलग-अलग प्रकार की वेरिफाइड न्यूज पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो बच्चे की एकाग्रता व पढ़ाई करने की क्षमता बढ़ सकती है। इससे बच्चे पढ़ाई में अव्वल हो सकते हैं। साथ में बिताए हुए समय में हम उन्हें अच्छे संस्कार देते हैं।
डिजिटल डिटॉक्स...हो सकेंगे मोबाइल की लत से दूर
डिजिटल डिटॉक्स करने के अनेक तरीके हैं, जैसे नियमित अंतराल में मोबाइल फोन को स्विच ऑफ कर देना, अनावश्यक नोटिफिकेशन को बंद कर देना, रात को सोने के पहले फोन साइलेंट मोड पर डालना, सोशल मीडिया को अनइंस्टॉल कर देना, सोशल मीडिया के इस्तेमाल की मॉनीटरिंग के लिए एप का इंस्टॉल करने के अलावा सप्ताह में एक या दो दिन मोबाइल का उपयोग बंद कर देना। इस तरह के उपाय कुछ परिवारों ने अपनाना भी शुरू कर दिए हैं, जिसका फायदा परिवार के सदस्यों की सेहत पर भी देखने को मिल रहा है।