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जिले के 40 स्कूलों में मरम्मत के नाम पर गड़बड़ियां


जिले के शासकीय स्कूलों में मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए की गड़बड़ियां सामने आई हैं। जिम्मेदारों ने सत्यापन के बिना ही कम काम होने के बावजूद लाखों रुपए का भुगतान ठेकेदारों को करते हुए लाभ पहुंचाया। कई स्कूलों में तो नाममात्र के कार्य करते हुए भुगतान प्राप्त कर लिया।

वहीं कुछ स्कूलों में बिल में मात्रा और दर का उल्लेख नहीं होने के बावजूद एकमुश्त राशि का भुगतान कर दिया गया। जिला प्रशासन के निर्देश पर जब इसकी जांच हुई तो चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई। जिले के 34 स्कूलों में काम की तुलना में ज्यादा भुगतान करना पाया गया।

इन स्कूलों में 22 लाख 68 हजार 498 रुपए की रिकवरी निकाली गई है। वहीं जिले के 6 स्कूलों में बिल में बिना मात्रा और दर के ही एकमुश्त राशि जारी करना पाया गया है। लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से जिले के 138 हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों की स्थाई संपत्तियों के सामान्य मरम्मत कार्य के लिए 4.14 करोड़ रुपए की राशि जारी हुई थी।

भास्कर ने गांवों में जाकर जब वास्तविक स्थिति देखी तो भुगतान के नाम पर हुई यह गड़बड़ी खुलकर सामने आ गई। खास बात यह है कि मरम्मत के नाम पर ठेकेदारों को भुगतान सीधे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से किया गया। अब जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद संबंधित कुल 40 स्कूलों के प्राचार्यों को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है।

तालोद : छत के आधे हिस्से में राला किया

शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम तालोद के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहुंचने पर पता चला कि यहां मरम्मत के रूप में छतों पर भराव, रैंप बनाने और पुताई का काम किया गया है। स्कूल भवन की छत पर चढ़कर जब स्थिति देखी तो पता चला कि भराव के नाम पर केवल राला किया गया है, उसमें भी आधी छत को छोड़ दिया गया। पीछे की ओर करीब पांच फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी दीवार के टूटे हिस्से को ईंट-सीमेंट लगाकर बंद किया है।

भवन में कई जगह दीवारों को देखकर स्पष्ट दिखाई देता है कि इन पर पुताई हुए अरसा बीत चुका है। जिस रैंप को मरम्मत के नाम पर बनाया गया, उसमें भी दरारें और घट्टिया क्वालिटी के काम स्पष्ट रूप से सामने ही दिखाई दे रहे हैं। कुल मिलाकर सभी काम 75 हजार रुपए के आसपास का नजर आता है। इसके बावजूद यहां 3 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया। इसी वजह से जांच दल ने भौतिक सत्यापन कर यहां 2 लाख 10 हजार 990 रुपए की रिकवरी निकाली है। प्राचार्य नरेंद्र शर्मा से मोबाइल पर चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मैं काउंसलिंग में आया हूं। मरम्मत का जो भी कार्य किया गया है, वह आपके सामने है।

जिस कमरे में कक्षा ही नहीं लगती, वहां लगा दी टाइल्स

शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम गंगेड़ी के शासकीय हाईस्कूल (एक शाला, एक परिसर) में प्रवेश करते ही सामने की तरफ एक बंद कमरा दिखाई दे रहा था। इस पर ताला लगा हुआ था। जब इस कक्षा का ताला खुलवाया तो पता चला कि यह कमरा जीर्ण-शीर्ण हो गया है। छत और दीवारों पर पड़ी दरारें स्पष्ट दिखाई देती हैं। इसलिए इसमें कक्षाएं नहीं लगती। इसके बावजूद कक्ष में टाइल्स लगा दी गई लेकिन दीवार और छत की मरम्मत नहीं की गई।

स्कूल में मरम्मत के नाम पर छोटे-छोटे चार कमरों में टाइल्स लगाने का काम किया गया है। दो टॉयलेट्स में फ्लोरिंग और भराव भी किया गया है लेकिन पूरा काम देखने के बाद भी यह एक लाख रुपए से अधिक का कार्य नजर नहीं आता। इसके बावजूद स्कूल में मरम्मत के नाम पर 3 लाख रुपए का एकमुश्त भुगतान किया गया।

जबकि इस स्कूल के बिल में मात्रा और दर का भी उल्लेख नहीं था। कुछ दिनों पहले ही यहां जिला प्रशासन और आरईएस के अधिकारियों ने जांच की थी। प्राचार्य नीना मौर्य से सवाल किया तो उन्होंने केवल इतना कहा कि मरम्मत कार्य के बिल में कुछ कमियां थी। कमियों की पूर्ति करके दोबारा बिल प्रस्तुत किए हैं।

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