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देश-विदेश के श्रद्धालु उज्जैन के पंडों से करा रहे ऑनलाइन श्राद्ध


विदेश में रहे श्रद्धालु इन दिनों पूजा-पाठ के लिए दुनियाभर में मशहूर धार्मिक नगरी उज्जैन के पंडों से ऑनलाइन श्राद्ध पूजन करा रहे हैं। इसे यहीं कहा जा सकता है कि अब नए जमाने में पूजा भी हाइटेक हो गई। सोशल मीडिया का उपयोग कर श्रद्धालु यजामान पंडों से यह कार्य सब कुछ विधि-विधान से ही करा रहे हैं। बस फर्क इतना है कि वे स्वयं यहां मौजूद नहीं होते। सोशल मीडिया पर फेसबुक, वाट्सएप का उपयोग कर वे ऑनलाइन पूजा करते हैं। फेसबुक, वाट्सएप के जरिए ऐसे हो जाती है। ऑनलाइन पूजा श्री क्षेत्र पंडा समिति के अध्यक्ष आम वाला पंडा पंडित राजेश त्रिवेदी ने बताया कि ऑनलाइन सभी नहीं करते। अधिकांश लोग श्राद्ध में यहीं आकर पंडों से घाट पर श्राद्ध की पूजा करवाते हैं। लेकिन कुछ श्रद्धालु यजमान ऐसे होते हैं जो नौकरी-पेशे, व्यापार
आखिर क्यों खास है उज्जैन में श्राद्ध की पूजा उज्जैन प्राचीन भारत की सनातन नगरी सप्तपुरियों में से एक है। यहां स्वयं भगवान श्रीराम भी वनवास के दौरान पिता राजा दशरथ के निधन पर शिप्रा के किनारे पिंडदान-तर्पण करने आए थे। तभी से यहां के मुख्य घाट का नाम रामघाट पड़ा। यहां सिद्धवट है जिसे स्वयं माता पार्वती ने ही रोपा था। इसी साक्षी में ही दुनियाभर के लोग यहां पितरों की शांति के लिए पिंडदान-तर्पण पूजन करने आते हैं। वैसे तो वर्ष भर ही यहां पूजन का सिलसिला चलता है। लेकिन श्राद्ध पक्ष में इसका अधिक महत्व होने से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
आदि के चलते देश-विदेश में रहकर व्यस्त रहते हैं। लेकिन पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध पूजन भी जरूरी है। मजबूरी में वे इस तरह से ऑनलाइन पूजा करवा कर परंपरा का निर्वहन कर लेते हैं। पूजा-पाठ सब विधि- विधान से ही होते हैं। अंतर इतना है कि यजमान को यहां आना नहीं पड़ता वह घर में बैठकर यह कार्य कर लेता है। कोरोना काल के दौरान भी जब लॉकडाउन लगा था तो कई लोगों ने ऑनलाइन ही पूजा कराई थी। फेसबुक, वाट्सएप पर वीडियो कालिंग के जरिए लोग घर में पूजन सामग्री लेकर बैठ जाते हैं इधर घाट पर बैठे पंडे मंत्रोंच्चार के साथ ही पूजा संपन्न कराते हैं।

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