महाकाल की नगरी एवं इस जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां से मात्र भूमि की सेवा के लिए युवा मैदान में उतरे हुए हैं
महाकाल की नगरी एवं इस जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां से मात्र भूमि की सेवा के लिए युवा मैदान में उतरे हुए हैं। देश की सीमा की रक्षा में अपना योगदान दे रहे हैं तो ऐसे गांव भी हैं जहां के 80 फीसदी घरों से एक-एक युवा सेना को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां के बच्चों की मांग होने के बावजूद उन्हे सैनिक स्कूल का आसरा नहीं मिल पा रहा है।
घट्टिया तहसील का गांव कदवाली ऐसा गांव है जहां के 80 फीसदी घरों युवा देश सेवा में लगे हैं। कदवालों का गांव कदवाली ये नाम राजस्थान की एक नदी पर है। उसके किनारे रहने वाले राजपूत कभी यहां आकर बसे और इस गांव को कदवाली नाम दिया। जस नाम तस गुण के आधार पर यहां के युवाओं ने देश सेवा का मार्ग चुनकर जिले में इस गांव को खास बना दिया है। यहां के हर घर में जय जवान जय किसान की तर्ज पर एक भाई देश सेवा तो दुसरा खेती किसानी के काम को अंजाम दे रहा है। इस गांव के अलावा उज्जैन जिले के घट्टिया,तराना,बडनगर,खाचरौद, नागदा, महिदपुर क्षेत्र से कई जवान सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।इसे विडंबना ही कहा जाएगा की देश सेवा में रहने वाले ऐसे क्षेत्र में सैनिक स्कूल का अभाव मांग के बावजूद है।
आसरा मांग रहे हैं लेकिन उन्हें यह नहीं मिल पा रहा है। संस्था सरल काव्यांजलि इस मांग को उठाने और रक्षा मंत्री के साथ ही उज्जैन के नेत्रत्वकर्ताओं को बार बार स्मरण दिलाने का जिम्मा ले रखा है। संस्था अध्यक्ष डॉ. संजय नागर ने
हल ही में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर उज्जैन में तुल मेंनक स्कूल स्थापना की मांग की है। संस्था महासचिव सन्तोष सुपेकर बताते है कि पत्र में स्मरण कराया गया है कि उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया इस सम्बन्ध में तीर बार मंत्रीजी से मिल चुके हैं और मंत्रीजी ने स्वीकृति भी दी थी बावजूद इसके हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी 23 नए सैनिक स्कूलों की सूची में उज्जैन का नाम न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। सुपेकर के अनुसार हाल ही में रक्षा मंत्री ने देश में 100 नए सैनिक स्कूलों की घोषणा है उनमें से 40 स्कूलों को स्वीकृति दे दी गई है। मंदसौर , हौसंगाबाद इसमें शामिल हैं। भिंड में पूर्व में ही काम शुरू हो चुका है। गौरतलब से यह भी है कि रक्षामंत्री ने सांसद के समक्ष यह भी कहा था कि महाकाल की नगी में सैनिक स्कूल तो होना ही चाहिए। एक वर्ष पूर्व दावा तो यह भी किया गया था कि उज्जैन के लिए सैनिक स्कूल का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है लेकिन अब रास्ते में रोड़ा अटका हुआ लग रहा है। उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया के प्रयासों के बावजूद उज्जैन की जनता की मांग को लेकर रक्षा मंत्री की उदासीनता समक्ष से परे है। महाकाल की नगरी उज्जैन एवं जिले से सेना में युवाओं के योगदान को देखते हुए यहां के बच्चों के लिए सैनिक स्कूल की मांग को तत्काल ही पूर्ण किया जान चाहिए। वर्तमान में 60 स्कूलों की स्वीक्रति शेष है ऐसे में हमारे जनप्रतिनिधियों को पूरा दम लगा कर इस सौगात को गुरू सांदिपनी की नगरी में लाना चाहिए।