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शिप्रा मामले को नदी प्रदूषण और प्रतिबर्धित क्षेत्र में लेकर आज होगी


शिप्रा नदी के पवित्र 'त्रिवेणी संगम स्थल' पर मुक्ति धाम जाने को विधायक निधि से साल 2019 में बनाई सीमेंट-कांक्रीट की सड़क का अधिकांश हिस्सा नदी में दह गया है। कारण, अप्राकृतिक रूप से मिट्टी का कटाव किया जाना है। सड़क टूटने से अब मुक्तिधाम जाना बहुत मुश्किल हो गया है। मालूम हो कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का सीवेज युक्त गंदा पानी शिप्रा नदी (नहान क्षेत्र त्रिवेणी से कालियादेह महल तक) में मिलने से रोकने को स्थानीय प्रशासन हर साल त्रिवेणी संगम स्थल पर मिट्टी का कच्चा पुल बनाता आया है। बांध बनाने को हर साल किनारे की ही खोदी जाती रही है। ऐसा किए जाने से नदी की चौड़ाई, गहराई बढ़ती गई और किनारे लगे पेड़ उजड़ते चले गए। ये पारिस्थितिकी तंत्र के लिहाज से भी ठीक न रहा।
पुल बना और पानी का बहाव तेज होने पर चंद दिनों में ही ढहता भी रहा। कई बार स्थिति ये बनी कि पर्व स्नान से कुछ घंटों पहले ही ये पुल टूटा। बहरहाल, पुल इस साल भी साल के अंत में बनना तय माना जा रहा है। मगर सवाल ये है कि इस बार प्रशासन मिट्टी कहां से खोदकर लाएगा। क्योंकि किनारे क मिट्टी खोद् प्रशासन नदी क किसान के खेत की मुंडेर तक ल गया है। अब आगे खोदाई करने को मतलब है खेत को भी पानी में डूब देना ।

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