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मुझे पता होता कि बेटा वापस ही नहीं लौटेगा तो कभी नहीं भेजता


शिप्रा में हादसों में लोगों की जान न जाए इसके लिए रामघाट समेत प्रमुख घाटों पर एक जैसे प्लेटफार्म, हरिद्वार की तर्ज पर जंजीरें लगाने को पौने दो साल पहले 13.30 करोड़ रुपए स्वीकृत जरूर किए पर काम कुछ नहीं हुआ। नतीजा सामने है, फिर एक युवक की शिप्रा नदी में डूबने से मौत हो गई। भाई की आंखों के सामने नवयुवक गहरे पानी में डूब गया। परिजनों को पता चला तो रो-रोकर उनका बुरा हाल हो गया। शव लेने आए पिता बोले- मुझे पता होता कि बेटा वापस ही नहीं लौटेगा तो कभी नहीं भेजता। महू के शांतिनगर जवाहर मार्ग निवासी मोहित पिता राजू 18 साल की रामघाट क्षेत्र के समीप सुनहरी घाट के समीप शिप्रा नदी में डूबने से मौत हो गई। मोहित बड़े भाई जयश के साथ सोमवार को बाइक से उज्जैन आया था। दोनों ने महाकाल दर्शन किए। इसके बाद मोहित जिद करने लगा तो जयश उसके साथ नदी पर गया था। यहां स्नान के दौरान मोहित गहरे पानी में चला गया। भाई व निजी तैराकों ने मदद की व युवक को नदी से निकाल भी लिया लेकिन जिला अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मंगलवार सुबह महू से परिजन यहां पहुंचे, जिनकी मौजूदगी में महाकाल थाना पुलिस ने पोस्टमार्टम करवा शव उन्हें सुपुर्द किया। परिजनों ने बताया कि जयश व मोहित महू में ही एक फैक्टरी में एक माह पहले ही काम पर लगे थे व तनख्वाह मिलने पर दोनों भाई यहां दर्शन व उज्जैन घूमने के लिए आए थे। मोहित ने हादसे के कुछ देर पहले मां से फोन पर बात की थी वह बोला था कि दर्शन कर लिए व नदी पर स्नान को आया हूं। थोड़ी देर में घर के लिए निकल रहे है लेकिन एक घंटे बाद दोबारा मां के पास फोन पहुंचा तो बेटे के मौत की खबर सुनी। यहां आए पिता ने भी कहा कि पता होता तो बेटे को कभी यहां नहीं भेजता। पोस्टमार्टम के बाद परिजन शव महू लेकर रवाना हो गए।
पहले भी कई हादसे हो चुके जिम्मेदार जाग नहीं रहे, संकेतक सूचना बोर्ड तक नहीं शिप्रा नदी में पूर्व में भी कई श्रद्धालु युवकों की गहरे पानी में जाने से जान जा चुकी है। वे हादसे का शिकार इसलिए हो गए क्योंकि पानी की गहराई का अंदाजा नहीं था। घाटों पर न सुरक्षा के इंतजाम है और सूचना बोर्ड तक नहीं है जिससे कि ये पता चल सके कि पानी कहां कितना गहरा है और कहां पर स्नान करें। जबकि स्मार्ट सिटी एक जैसे प्लेटफॉर्म व हरिद्वार की तर्ज पर शिप्रा के घाटो पर जंजीरें लगाने के लिए 13.30 करोड़ रुपए स्वीकृति के बाद टेंड कराने के बाद काम नहीं करवा सकी। बाद में 56 लाख रुपए रेलिंग के लिए स्वीकृत किए लेकिन उस पर भी काम नहीं हुआ। नगर निगम को सूचना बोर्ड लगाने व घाटों पर काई फिसलन सफाई की फुरसत तक नहीं है। वहां जमी गाद तक साफ नहीं हो पा रही है। 

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