महाकाल प्रसाद के 250 पैकेटों को बांटने की जगह नदी में फिंकवाया
जिला अस्पताल में पदस्थ एक संविदा स्वास्थ्यकर्मी ने लापरवाही का नमूना पेश करते हुए महाकालेश्वर मंदिर से आये प्रसाद के पैकेटों को बांटने की जगह अलमारी में बंद कर रख दिये। कुछ दिन बाद जब उनको खोलकर देखा तो उसमें फफूंद लग चुकी थी। लिहाजा इन पैकेटों को बाले बाले नदी में डंप करवा कर मामले को दबा दिया गया। हालांकि इसकी चर्चा जिला अस्पताल के गलियारों में अभी तक चल रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा भगवान महाकाल की 10 सवारी निकाले जाने के दौरान महाकालेश्वर मंदिर में लगातार 2 माह तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं श्रद्धालुओं को प्रदान की थीं। इसी का नतीजा रहा कि शाही सवारी 11 सित बर के बाद आयोजन की सफलता के बाद महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने महाकाल प्रसाद के रूप में चार पेड़ों का एक पैकेट के हिसाब से स्वास्थ्यकर्मियों में बांटने के लिये 250 पैकेट 15 सितंबर को जिला अस्पताल भिजवाये थे। इन पैकेटों को संविदा स्वास्थ्यकर्मी मोनू सिंग (बदला हुआ नाम) ने रिसीव किया। इसके बाद सीएमएचओ और अन्य आने जाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को कुछ पैकेट प्रदाय कर मामले की इतिश्री कर बाकी बचे भारती- भोग-प्रसाद पैकेटों को आलमारी में ताला बंद पटक दिया गया। फफूंद लगी तो नदी में फिंकवायाः महाकाल प्रसाद के पैकेटों को एक सप्ताह तक आलमारी में बंद करने के बाद जब खोला गया तो पैकेटों में रखे गये पेड़ों में फफूंद लग चुकी थी। यह देखकर इन पैकेटों को बाले बाले नदी में फिंकवा दिया गया। यह प्रसाद न तो सिविल सर्जन को मिल पाया और न ही अन्य किसी दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों को....। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला अस्पताल में ऐसे ऐसे कर्मचारी भी बैठे हुए हैं, जोकि भगवान का प्रसाद तक बांटने में लापरवाही कर रहे हैं। यदि यह प्रसाद स्वास्थ्यकर्मियों के पास तक पहुंच जाता तो उनके द्वारा महाकाल सवारी में की गई मेहनत सार्थक हो जाती।