15 अक्टूबर से मां की भक्ति का पर्व
उज्जैन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (15 अक्टूबर) से शारदीय नवरात्र का श्रीगणेश हो रहा है इसी दिन घट स्थापना के लिए विशेष मुहूर्त के साथ ही देवी साधना का दौर आरंभ हो जाएगा। इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिन के होने से साधकों को उपवास का लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही ग्रह-नक्षत्रों के राशि परिवर्तन
से बाजार व्यापार में भी पांच गुना बढ़ोत्तरी होने की संभावना रहेगी। इलेक्ट्रॉनिक, कार-बाइक, भूमि और सोना-चांदी में खरीदी-बिक्री का दौर खूब चलेगा।
कोई भी तिथि इस नवरात्रि में क्षय नहीं है। इसलिए यह विशेष शुभ व लाभकारी रहेगी। नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा पर ग्रह गोचर गणना से बुधादित्य योग का संयोग बन रहा है। रविवार का दिन और बुधादित्य योग अपने शनि कुंभ राशि में ही वक्रगत होने से लाभ शनि कुंभ राशि में ही वक्रगत होने के कारण चरण परिवर्तन करने से विशेष लाभ प्रदान करते हैं, तंत्र साधना में यह परिवर्तन विशेष शुभ बताया जाता है, वहीं बुध का तुला राशि और शुक्र का पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में होने से भी अर्थ समृद्धि के • रास्ते खुल सकते हैं। विधिवत उपासना की आवश्यकता रहेगी। आपमें महत्वपूर्ण है। पराक्रम, प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए प्रतिपदा से नवमी तक की साधना विशेष लाभ प्रदान करेगी। 9 दिन की नवरात्रि, वर्षभर शुभका धर्म शास्त्र के आधार पर नवरात्रि यदि पूरे 9 दिन की होती है, तो वह वर्ष पर्यंत शुभकारी मानी जाती है। इस बार संयोग से नवरात्रि में किसी भी दिन तिथि का क्षय नहीं है। अर्थात 9 दिन में नौ तिथियां, नौ देवी की आराधना के लिए श्रेष्ठ रहेंगी। अलग- अलग तिथियों के अधिपति के साथ माता की साधना का लाभ लिया जा सकता है। उपासना के साथ-साथ विशिष्ट अनुष्ठान सफलता दायक रहेंगे।
ग्रहों के राशि व नक्षत्र परिवर्तन भी इसी दौरान होंगे
नवरात्रि में ग्रहों के राशि परिवर्तन व • नक्षत्र परिवर्तन भी होंगे। इस बार घट स्थापना के ठीक दूसरे दिन शनि का धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में प्रवेश होगा। 17 अक्टूबर को सूर्य का तुला राशि में प्रवेश होगा। वहीं शुक्र पूर्वा फाल्गुनी में प्रवेश करेंगे। 18 तारीख को बुध तुला में प्रवेश करेंगे। इस दृष्टि से नक्षत्र व राशि के परिवर्तन व्यापार व्यवसाय की रूपरेखा को तय करने वाले होंगे। यह कहा जा सकता है कि इस दौरान बाजार की स्थिति में उछाल की संभावना हो सकती हैं। वहीं शनि का नक्षत्र चरण परिवर्तन
रुके कार्य में गति बढ़ाएगा। शुक्र का नक्षत्र परिवर्तन समृद्धि के द्वार
• खोलेगा। बुध का तुला राशि में प्रवेश व्यापार व्यवसाय को वैदेशिक मामलों से जोड़ते हुए आगे बढ़ाएगा। स्टार्टअप्स में बढ़ोतरी होंगी। ग्रह गोचर तथा नक्षत्र, राशि परिवर्तन की स्थिति प्रतिपदा से तृतीया के मध्य यदि क्रमानुसार बदलती है, तो विशेष्य साधना के सोपान को आगे बढ़ा देती है। इस प्रकार के योग कम ही बन पाते हैं, खासकर तब जब सूर्य शनि बुध का नक्षत्र चरण या राशि परिवर्तन की स्थिति बनती हो।