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देश में आखिर बलात्कार के प्रकरण कम क्यों नहीं हो रहे ?


डॉ. चन्दर सोनाने
               महाकाल की नगरी उज्जयिनी में पिछले दिनों 12 साल की एक मासूम के साथ हुई दुष्कर्म की खबर अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि मध्यप्रदेश के ही अशोकनगर से एक ओर बुरी खबर आ गई। हाल ही में अशोकनगर जिले के गुहासा की रहने वाली एक विवाहित महिला के साथ गाँव के ही तीन निवासियों देवेन्द्र, शैलेन्द्र, मन्ना और एक ड्राइवर ने चलती कार में रातभर दरिंदगी की और सुबह ग्राम शाढ़ौरा के पास बेहोशी की हालत में अर्द्धनग्न कपड़ों में बेसहारा छोड़ दिया। आखिर हमारे देश में यह हो क्या रहा है ? दरिंदगी के प्रकरण कम क्यों नहीं हो रहे हैं ? इसके कारणों पर आज जाने की महति आवश्यकता है।
              भारत सरकार के सांख्यिक अनुसंधान विभाग द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत में दर्ज बलात्कार के मामलों की संख्या 2005 से 2021 तक इस प्रकार है- वर्ष 2021 में भारत में दर्ज किए गए बलात्कार के मामलों की कुल संख्या 31 हजार से अधिक थी। यह पिछले वर्ष की तुलना में बलात्कार के मामलों में वृद्धि थी। भले ही देश में कई बलात्कारों की रिपोर्ट दर्ज नहीं की जाती है, लेकिन यह एक ऐसा मुद्दा है जो लगातार समाचारों की सुर्खियाँ बनता है, कुछ के कारण सार्वजनिक विरोध भी होता है। हालाँकि हाल के वर्षों में बलात्कार की रिपोर्टें बढ़ी हैं, फिर भी इसे अपराधी के बजाय पीड़िता के लिए शर्म से जोड़ा गया है।
              भारत में बलात्कार की पीड़िता को न केवल सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है, बल्कि इससे भी अधिक, न्याय के लिए उसकी लड़ाई उस व्यवस्था के कारण आसान नहीं होती है जो अक्सर अपने दुर्भाग्य के लिए पीड़िता को दोषी ठहराती है। ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहाँ पीड़ितों को पुलिस स्टेशनों पर प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और अक्सर उन पर अपने मामले वापस लेने के लिए दबाव डाला जाता है। हालाँकि, एक बार जब कोई मामला सुनवाई के लिए जाता है, तो कुछ भी हल होने में दशकों लग सकते हैं। विशेष रूप से बलात्कार के मामलों को भारी लंबित मामलों का सामना करना पड़ता है, जहाँ नए मामलों की संख्या हर साल निपटाए गए मामलों की संख्या से अधिक हो जाती है। यह प्रक्रिया कठिन है और पीड़ित के जीवन में इतना आघात ला सकती है कि वे अक्सर अपने या अपराधी के परिवार के दबाव में झुक जाते हैं।
             आखिर क्या कारण है कि हमारे देश में जहाँ महिलाओं को देवी मानकर उनका पूजन किया जाता है, वहाँ महिलाओं के प्रति दरिंदगी और हैवानियत की पराकाष्ठा के प्रकरण आए दिन सामने आते रहते हैं। इसके कारणों पर जाएँ तो पता चलता है कि अपराधियों को कानून के प्रति कोई खौफ नहीं है ! देश की राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया कांड के दोषियों को मौत की सजा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दे दी जाने के बावजूद वे कई सालों तक फाँसी के फंदे से बचते रहे ! कई सालों की लंबी लड़ाई के बाद ही उन्हें फाँसी की सजा मिल पाई !
              पिछले दिनों गुजरात में बिलकिस बानो का गैंगरेप करने वाले 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था। जब बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था, उस वक्त वो 5 महीने की गर्भवती भी थी। गुजरात के गोधरा में 2002 में दंगों के बाद बिलकिस बानो के साथ जो गैंगरेप हुआ था, उस समय उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या भी कर दी गई थी। इसके बावजूद इस मामले में 2008 में 11 दोषियों को फाँसी की सजा नहीं सुनाई गई, बल्कि उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।
             इसके बावजूद सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने वाले दरिंदो को उम्र कैद की सजा होने के बाद भी गुजरात सरकार ने उन्हें रिहाई कैसे दे दी ? यही नहीं इन दरिंदों की जब रिहाई हुई तो बेशर्मी की हद पार कर दी गई। उन्हें सार्वजनिक रूप से पुष्पमाला पहनाकर स्वागत सम्मान किया गया। जैसे वे कोई वीरतापूर्ण और साहसी कार्य करके आए हैं ! ऐसा क्यों हुआ ? हांलाकि यह प्रकरण फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है, जहाँ इन 11 दरिंदों को रिहा करने के लिए सुनवाई चल रही है।
              किन्तु फिर सवाल यह उठता है कि बिलकिस बानो जैसे गैंगरेप करने वालों को गुजरात सरकार द्वारा रिहा कर देने के बावजूद जब उनका रिहा होने पर पुष्पमाला पहनाकर स्वागत किया जाता है तो गैंगरेप करने वालों के मन में खौफ कैसे पैदा हो ? हाल ही में अशोकनगर में फिर गैंगरेप हुआ। अपराधियों के मन में कोई खौफ ही नहीं है। वे जानते हैं कानून में इतनी गलियाँ हैं कि वे उससे बचकर आ सकते हैं। तो वे डरे क्यो ?
              इसलिए जरूरी यह है कि भारत सरकार कानून में इस प्रकार से संशोधन करें कि कहीं भी किसी भी मासूम या लड़की या विवाहित महिला के साथ बलात्कार करने वाले दरिंदों को अधिकतम एक साल के अंदर सजा हो और वो सजा भी मृत्युदंड से कम नहीं हो ! तो ही अपराधियों में कानून के प्रति भय होगा और वे ऐसा करने के बारे में 10 बार सोचेंगे। ऐसा कब होगा ? होगा कब ? या ऐसा ही चलता रहेगा ...
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