श्राद्ध पक्ष में उज्जैन के सिद्धवट, रामघाट और गयाकोठा तीर्थ पर पितृ कर्म करने उमड़े लोग
भादौ मास की पूर्णिमा पर शुक्रवार को उत्तरा भाद्रपदा नक्षत्र व मंगलादित्य योग में महालय श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ हुआ। पहले ही दिन लोग मोक्षदायिनी शिप्रा के सिद्धवट व रामघाट के साथ खाकचौक स्थित गयाकोठा तीर्थ पर बड़ी संख्या में पितृ कर्म करने पहुंचे। गयाकोठा स्थित सप्त ऋषि मंदिर में सप्त ऋषियों का पूजन व दुग्धाभिषेक करने के लिए करीब एक किलोमीटर लंबी कतार लगी हुई थी। पितृ कर्म का यह सिलसिला 14 अक्टूबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या तक चलेगा।ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हुई है। उत्तराभाद्रपद पंचक का नक्षत्र में इसमें पितृकर्म तथा पितरों के निमित्त धूप ध्यान व दान पुण्य करने वाले को पांच गुना शुभफल की प्राप्ति होगी। पूर्णिमा अपने पितरों को श्राद्ध में सम्मिलित करने की तिथि है। जिन लोगों ने पहली बार अपने पितरों को श्राद्ध में लिया वे बड़ी संख्या में तीर्थ पर सम्मिलन की प्रक्रिया कराने पहुंचे तथा तीर्थ पुरोहितों के माध्यम से विधिवत श्राद्धकर्म कराकर पितरों का श्राद्ध में शामिल किया।सके अलावा जिन परिवारों में पूर्वजों का देवलोक गमन पूर्णिमा के दिन हुआ उन्होंने भी श्राद्ध किया। महालय श्राद्ध के सोलह दिन अपने पूर्वजों के निमित्त धूप ध्यान, तीर्थ पर तर्पण व पिंडदान के साथ गायों को घास, श्वान व कौओं को भोजन का भाग, भिक्षुकों को अन्नदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं तथा अपने अग्रजों को सुख, समृद्धि, वंश वृद्धि, आयु आरोग्य तथा ऐश्वर्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।महालय श्राद्ध पक्ष में गंगा घाट स्थित मौनतीर्थ पीठ आश्रम में श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क पितृ कर्म की व्यवस्था आश्रम प्रबंधन द्वारा की गई है। पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी डा.सुमनानंद गिरी महाराज ने बताया शिप्रा के गंगा घाट पर पितृ कर्म कराने का विशेष महत्व है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को श्री मौनीबाबा वेद विद्यापीठ के निष्णात एवं प्रकांड पंडितों द्वारा विधि विधान से पितृ कर्म कराया जा रहा है। श्रद्धालु अगर ब्राह्मण भोजन कराना चाहें तो विद्यालय से अनुमति लेकर वेद पाठियों को भोजन करा सकते हैं।