विशिष्ट संयोगों का महालय श्राद्ध पक्ष आज 29 सितंबर से
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से महालय श्राद्ध का आरंभ हो जाता है। इस बार महालय श्राद्ध का आरंभ 29 सितंबर को शुक्रवार के दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, वृद्धि योग, बव करण, मीन राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में होगा। श्राद्ध पूरे 16 दिन के रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि किसी भी पर्व काल की शुरुआत यदि विशिष्ट ग्रह नक्षत्र के साक्षी में हो तो वह विशेष प्रकार से फल प्रदान करने में सक्षम हो जाता है। इस बार महालय श्राद्ध का आरंभ सूर्य - मंगल के कन्या राशि पर गोचरस्थ होने की उपस्थिति का रहेगा। यह एक विशिष्ट स्थिति है, क्योंकि कन्या राशि के सूर्य को धर्मशास्त्र व पुराण में विशिष्ट मान्यता दी गई है। यदि इस प्रकार का योग संयोग बनता है, वह भी बुध की राशि कन्या में तो उसका फल विशेष प्राप्त होता है।
दिवस विशेष के साथ किसी नक्षत्र विशेष का योग बनना तथा किसी अन्य विशिष्ट योग की सृष्टि करता है, जैसे- इस बार 29 तारीख की मध्य रात्रि में अमृत सिद्धि योग का भी संयोग बनेगा, जो अगले दिन सुबह तक रहेगा। यह भी अपने आप में विशिष्ट मान्य है, क्योंकि अमृत सिद्धि योग के संयोग में पितरों के नैमित किया गया तर्पण व पिंडदान उन्हें अमृत प्रदान करता है।
विशिष्ट शक्तियों एवं पदों से सिंचित करता है और विष्णु लोक की प्राप्ति करता है। यही कारण है कि धार्मिक नगरी अवंतिका में मोक्षदायिनी शिप्रा तट के रामघाट, सिद्धवट और खाकचौक स्थित गयाकोठा का महत्व होने से देशभर के श्रद्धालु यहां पहुंचकर अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्धकर्म करते हैं।
श्राद्ध पक्ष पूरे 16 दिन के रहेंगे
महालय श्राद्ध पूरा 16 दिन के रहेंगे। हालांकि, कुछ पंचांगों में चतुर्थी तिथि का क्षय बताया है, किंतु तृतीया और चतुर्थी का अलग-अलग गणित धर्मशास्त्र में बताया गया है। इस दृष्टि से नियत समय पर श्राद्ध अवश्य करें। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह की गति का नियम अलग प्रकार से अपनी गणना करता है। ग्रह गोचर की गणना से देखे तो इस प्रकार का संयोग लगभग 400 वर्ष बाद बन रहा है, क्योंकि सभी ग्रहों का राशि अनुक्रम का कालखंड अलग-अलग प्रकार से स्थिति को दर्शाता है।